Akshay Tritiya It was on this day that
- Lord Rushabhnath broke his year long fast by having sugarcane juice.
- Sudama visited Lord Krishna on this day with a handful of rice.
- Ved Vyas along with Lord Ganesh started writing Mahabharat .
- Vishnu's 6th incarnation Parshuram was born.
- Ganga descended on earth on this day.
- This day marks as the end of Satyug and the beginning of Tretayug.
- आज ही के दिन माँ गंगा का अवतरण धरती पर हुआ था ।
- -महर्षी परशुराम का जन्म आज ही के दिन हुआ था ।
- -माँ अन्नपूर्णा का जन्म भी आज ही के दिन हुआ था
- -द्रोपदी को चीरहरण से कृष्ण ने आज ही के दिन बचाया था ।
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- कृष्ण और सुदामा का मिलन आज ही के दिन हुआ था ।
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- कुबेर को आज ही के दिन खजाना मिला था ।
- -सतयुग और त्रेता युग का प्रारम्भ आज ही के दिन हुआ था ।
- -ब्रह्मा जी के पुत्र अक्षय कुमार का अवतरण भी आज ही के दिन हुआ था ।
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- प्रसिद्ध तीर्थ स्थल श्री बद्री नारायण जी का कपाट आज ही के दिन खोला जाता है ।
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- वृन्दावन के बाँके बिहारी मंदिर में साल में केवल आज ही के दिन श्री विग्रह चरण के दर्शन होते है अन्यथा साल भर वो वस्त्र से ढके रहते है ।
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- इसी दिन महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था ।
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- अक्षय तृतीया अपने आप में स्वयं सिद्ध मुहूर्त है कोई भी शुभ कार्य का प्रारम्भ किया जा सकता है
The story is about: When Lord Krishna visited the Pandavas during their exile, Draupadi came out of the kitchen, tearfully showing an empty bowl to Him, saying that she has no food to offer Him… The Lord ate one grain of Rice that was stuck to the bowl, & blessed the “Patra” with “never ending” food in it…! Therefore, Lord Krishna is worshipped on this day, with himility & gratitude.
भारत की एक महत्वपूर्ण तिथि: अक्षय तृतीया
अक्षय तृतीया का महत्व
- भगवान परशुराम का जन्म
- गंगा माता का पृथ्वी पर अवतरण
- त्रेतायुग का आरंभ हुआ
- सुदामा द्वारका पहुंचे थे और श्रीकृष्ण ने उनको दान दिया
- पांडवों को भगवान सूर्य से अक्षय पात्र प्राप्त हुआ था
- वेदव्यास जी ने श्री गणेश जी को महाभारत का वाचन आरंभ किया
- आदिशंकराचार्य जी ने कनकधारा स्त्रोत की रचना की
- कुबेर को धन प्राप्ति हुई और ब्रह्मा जी ने उनको धन का स्वामी नियुक्त किया
- अन्नपूर्णा देवी प्रकट हुईं
- प्रसिद्ध रथयात्रा के लिए भगवान जगन्नाथ के रथ का निर्माण आज से ही प्रारंभ होता है