Cooking

Cooking thoughts:

  1. Adding tea leaves to chick peas--Not a good idea. It will give good color to gravy but remember that it is caffeine. Not good if children are eating this.
  2. Adding sugar/jaggery to preserve color of green vegetables--- Taste of vegetable changes and not good for diabetics.
  3. Eat to survive, not to pass time or deal with depression. Do not eat just to finish the food.
  4. Natural is best. I mean raw fruits and vegetables ( no cooking and spices).
  5. Is tongue is burning after eating pineapple, rinse it with water and eat something else e.g. banana
  6. Sabudana/Tapioca/Sago is made from the roots of a plant. It is basically all starch. Other than starch its main nutrients are calcium and iron.
  7. Dip broccoli in vinegar to get bugs out of broccoli
  8. Grind cilantro and apple cidar vinegar together. Fill it in a spray bottle. Spray on skin to prevent mosquito bites.
  9. Make a line of salt to prevent ants.
  10. Place clove in sugar container to prevent ants from infesting it
  11. Orange peel repels spiders
  12. To prevent turmite infestation on wooden appliances apply petroleam jelly on wood.
  13. Bayleaves repel pantry moths
  14. Oranges plus cloves repel mosquitoes
  15. Samolina contains carbs 80%, fiber, proteins 15%, fats 5%, iron, mageisium, calcium, vit B6
  16. To clean skillet-- Heat it, rub salt and lemon on it and then rinse with water.
  17. To sharpen the mixer grinder blades, place salt in the jar, grind it for a minute or two, take salt out and rinse it with water.

Bharti

Whatsapp forwards:

दाल-बाटी का अविष्कार क्यों, कहाँ, कब और कैसे हुआ ?
बाटी:-
बाटी मूलत: राजस्थान का पारंपरिक व्यंजन हैै।
इसका इतिहास करीब 1300 साल पुराना है।
8 वीं सदी में राजस्थान में बप्पा रावल ने मेवाड़ राजवंश की शुरुआत की।
बप्पा रावल को मेवाड़ राजवंश का संस्थापक भी कहा जाता है।
इस समय राजपूत सरदार अपने राज्यों का विस्तार कर रहे थे।
इसके लिए युद्ध भी होते थे।
इस दौरान ही बाटी बनने की शुरुआत हुई।
दरअसल युद्ध के समय हजारों सैनिकों के लिए भोजन का प्रबंध करना चुनौतीपूर्ण काम होता था।
कई बार सैनिक भूखे ही रह जाते थे।
ऐसे ही एक बार एक सैनिक ने सुबह रोटी के लिए आटा गूंथा, लेकिन रोटी बनने से पहले युद्ध की घड़ी आ गई और सैनिक आटे की लोइयां रेगिस्तान की तपती रेत पर छोड़कर रणभूमि में चले गए। शाम को जब वे लौटे तो लोइयां गर्म रेत में दब चुकी थीं, जब उन्हें रेत से बाहर से निकाला तो दिनभर सूर्य और रेत की तपन से वे पूरी तरह सिंक चुकी थी।
थककर चूर हो चुके सैनिकों ने इसे खाकर देखा तो यह बहुत स्वादिष्ट लगी।
इसे पूरी सेना ने आपस में बांटकर खाया।
बस यहीं इसका अविष्कार हुआ और नाम मिला बाटी।
इसके बाद बाटी युद्ध के दौरान खाया जाने वाला पसंदीदा भोजन बन गया।
अब रोज सुबह सैनिक आटे की गोलियां बनाकर रेत में दबाकर चले जाते और शाम को लौटकर उन्हें चटनी, अचार और रणभूमि में उपलब्ध ऊंटनी व बकरी के दूध से बने दही के साथ खाते।
इस भोजन से उन्हें ऊर्जा भी मिलती और समय भी बचता।
इसके बाद धीरे-धीरे यह पकवान पूरे राज्य में प्रसिद्ध हो गया और यह कंडों पर बनने लगा।
अकबर के राजस्थान में आने की वजह से बाटी मुगल साम्राज्य तक भी पहुंच गई
मुगल खानसामे बाटी को बाफकर (उबालकर) बनाने लगे, इसे नाम दिया बाफला।
इसके बाद यह पकवान देशभर में प्रसिद्ध हुआ और आज भी है और कई तरीकों से बनाया जाता है।
दाल:-
अब बात करते हैं दाल की।
दक्षिण के कुछ व्यापारी मेवाड़ में रहने आए तो उन्होंने बाटी को दाल के साथ चूरकर खाना शुरू किया।
यह जायका प्रसिद्ध हो गया और आज भी दाल-बाटी का गठजोड़ बना हुआ है।
उस दौरान पंचमेर दाल खाई जाती थी।
यह पांच तरह की दाल चना, मूंग, उड़द, तुअर और मसूर से मिलकर बनाई जाती थी।
इसमें सरसो के तेल या घी में तेज मसालों का तड़का होता था।
चूरमा:-
अब चूरमा की बारी आती है।
यह मीठा पकवान अनजाने में ही बन गया।
दरअसल एक बार मेवाड़ के गुहिलोत कबीले के रसोइये के हाथ से छूटकर बाटियां गन्ने के रस में गिर गई।
इससे बाटी नरम हो गई और स्वादिष्ट भी।
इसके बाद से इसे गन्ने के रस में डुबोकर बनाया जाना लगा।
मिश्री, इलायची और ढेर सारा घी भी इसमें डलने लगा।
बाटी को चूरकर बनाने के कारण इसका नाम चूरमा पड़ा।


Mango quiz !!

Which mango variety is this :

  1. Handicap person- -- Langda
  2. Related to hindu festiva-- - Dussheri
  3. A precious stone---Neelam
  4. Related to anklet--- Pari
  5. District in Andhra Pradesh--- Ratnagiri
  6. Queen begum---Banginpalli
  7. An expensive seasoning / spice --- Kesar
  8. Parrot--- Totapuri
  9. Name of a court dance-- - Amrapalli
  10. Is it a dryfruit or a mango?-- - Badami
  11. Married women's hallmark-- - Sindoori
  12. Full of juice -- - Chausa
  13. A district in Bengal --- Kalkattia
  14. Fit for a king--- Rajapuri
  15. Named after a Portuguese General--- Alphonso

Mango%20map%20of%20india

कचौड़ी पर निबंध

  1. कोई इस पृथ्वी पर जन्में और बिना कचौडी खाये मर जाये ये तो हो ही नही सकता।
  2. मैदा से निर्मित सुनहरी तली हुई कवर के साथ भरे मसालेदार दुष्ट दाल का दल है ये। जो सदियों से नशे की तरह दिल दिमाग पर हावी बनी हुआ है।
  3. हमारा राष्ट्रीय भोजन है ये। सुबह नाश्ते मे कचौडी हों, दोपहर मे भूख लगने पर मिल जाये ये या शाम को चाय के साथ ही इनके दर्शन हो जायें, किसी की मजाल नही जो इन्हे ना कह दे।
  4. कचौडी का भूख से कोई लेना देना नही होता। पेट भरा है, ये नियम कचौरी पर लागू नही होता। कचौडी सामने हों तो दिमाग काम करना बंद कर देता है। दिल मर मिटता है कचौरी पर। ये बेबस कर देता हैं आपको। कचौडी को कोई बंदा ना कह दे ऐसे किसी शख्स से मै अब तक मिला नही हूँ।
  5. कचौडी मे बडी एकता होती है। इनमें से कोई अकेले आपके पेट मे जाने को तैयार नही होती। आप पहली कचौडी खाते हैं तो आँखे दूसरी कचौडी को तकने लगती है, तीसरी आपके दिमाग पर कब्जा कर लेती है और दिल की सवारी कर रही चौथी कचौरी की बात आप टाल नही पाते।
  6. कचौडी को देखते ही आपकी समझदारी घास चरने चली जाती हैं। आप अपने डॉक्टर की सारी सलाह, अपने कोलेस्ट्राल की खतरनाक रिपोर्ट भूल जाते हैं। पूरी दुनिया पीछे छूट जाती है आपके और आप कचौरी के पीछे होते हैं।
  7. कचौडी को गरम गरम बनते देखना तो और भी खतरनाक है। आप कहीं भी कितने जरूरी काम से जा रहे हो, सडक किनारे किसी दुकान की कढाई मे गरम गरम तेल मे छनछनाती, झूमती सुनहरी कचौरी आपके पाँव रोक ही लेंगे। ये जादूगर होता हैं। आप को सम्मोहित कर लेता हैं ये। आप दुनिया जहान को भूल जाते हैं। आप खुद-ब-खुद खिंचे चले आते है कचौडी की दुकान की तरफ, और तब तक खडे रहते है जब तक दुकानदार दया करके आपको कचौरी ना थमा दें।
    8.
    किसी मशहूर कचौडी दुकान को ध्यान से देखिये, यहाँ जाति, धर्म, भाषा, क्षेत्रियता, अमीरी, गरीबी का *कोई भेद नही होता। कचौडी से प्यार करने वाले एक साथ धीरज से अपनी बारी का इंतजार करते हैं। जिन बातो ने हमारे देश की एकता अखंडता बनाये रखने मे मदद की है उनमें कचौडी को बाइज्जत शामिल किया ही जाना चाहिये ॥

षड् रस(छः रस)

परमात्मा प्रदत्त हमारे महान ऋषियों(पुरातन वैज्ञानिक) की खोज षड् रस क्या है व इनका शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है ? —

रस क्या है ? —

रस शब्द के कई अर्थ होते हैं,परन्तु आयुर्वेद में रस का अर्थ स्वाद से है । जब हम कोई भी चीज खाते हैं, तो सबसे पहले जीभ पर मिलने वाला जो स्वाद का अनुभव होता है वही रस कहलाता है । आम भाषा में इसे समझे तो कुछ भी चीज खाने पर हमें जो स्वाद महसूस होता है वही रस है।

चरक संहिता के उपदेष्टा आचार्य पुनर्वसु आत्रेय के अनुसार रस कुल छः हैं। सभी प्रकार के खाद्य पदार्थों को इन्हीं षड् रस के अंतर्गत रखा गया है। प्रत्येक रस के अपने अपने गुण और प्रभाव होते हैं, जिन्हें ग्रहण किये जाने पर शरीर में अलग अलग आवश्यक क्रियाओं को करते हैं । आयुर्वेद में खाने पीने की किसी भी वस्तु के लाभ इन रसों के आधार पर ही निर्धारित किये गए हैं । जिन वस्तुओं में रसों की तीव्रता बहूत ज्यादा होती है उन्हें ही औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है।

खाद्य पदार्थों की तासीर भी इन्हीं रसों के आधार पर निर्धारित की जाती है। जैसे — मधुर रस वाली वस्तुओं(औषधि,खाद्य पदार्थ) की तासीर ठंडी और अम्ल या कटु रस वाले खाद्य पदार्थों की तासीर गर्म मानी जाती है।

रस के प्रकार —

आयुर्वेद में 6 प्रकार के रसों के बारे में बताया गया है। रसों का ये प्रकार मूलतः स्वाद के आधार पर ही निर्धारित किये गए हैं। आयुर्वेदानुसार 6 रस इस प्रकार हैं —

• मधुर ( मीठा )
• अम्ल ( खट्टा )
• लवण ( नमकीन )
• कटु ( चरपरा )
• तिक्त ( कड़वा, नीम जैसा )
• कषाय ( कसैला )

__इनमें सबसे पहला रस (मधुर) सबसे अधिक बल प्रदान करने वाला है और अगले रस अपेक्षाकृत क्रमशः कम बल प्रदान करने वाले हैं। इस क्रम से कषाय रस सबसे कम बल प्रदान करने वाला है।

रस और पंच महाभूत में सम्बन्ध —

वैसे रस,जल का स्वाभाविक गुण है; परन्तु जल में भी रस की उत्पत्ति (अभिव्यक्ति) तभी होती है, जब यह महाभूतों के परमाणुओं के साथ संपर्क में आता है । अतः प्रत्येक रस में अलग-अलग महाभूतों की प्रधानता पाई जाती है, जो इस प्रकार है —

१.] मधुर रस — पृथिवी और जल महाभूत !
२.] अम्ल रस — पृथिवी और अग्नि महाभूत !
३.] लवण रस — जल और अग्नि महाभूत !
४.] कटु रस — वायु और अग्नि महाभूत !
५.] तिक्त रस — वायु और आकाश महाभूत !
६.] कषाय रस — वायु और पृथिवी महाभूत !

__ प्रत्येक रस में पाये जाने वाले प्रमुख महाभूतों के अनुसार ही उस पदार्थ का व्यक्ति के शरीर में विद्यमान दोषों, धातुओं आदि पर प्रभाव पड़ता है।

रस और दोष में सम्बन्ध —

रसों में अलग-अलग महाभूतों की अधिकता(प्रधानता) के अनुसार ही कोई एक रस, किसी दोष को बढ़ाता है तो किसी अन्य दोष को कम करता है। अतः अब हम यह जानते हैं कि कौन सा रस किस दोष को बढ़ाता है और किस दोष को घटाता है —

१.] मधुर रस — कफ दोष को बढ़ाता है और वात, पित्त दोषों को घटाता है ।

२.] अम्ल रस — पित्त, कफ दोषों को बढ़ाता है और वात दोष को घटाता है ।

३.] लवण रस — कफ, पित्त दोषों को बढ़ाता है और वात दोष को घटाता है ।

४.] कटु रस — पित्त, वात दोषों को बढ़ाता है और कफ दोष को घटाता है ।

५.] तिक्त रस — वात दोष को बढ़ाता है और पित्त, कफ दोषों को घटाता है ।

६.] कषाय रस — वात दोष को बढ़ाता है और पित्त, कफ दोषों को घटाता है ।

1.) मधुर रस —

जिस रस को खाने पर संतुष्टि, ख़ुशी और मुंह में चिपचिपापन महसूस होता है। साथ ही जो रस पोषण प्रदान करता है और कफ बढ़ाता है उसे ही आयुर्वेद में मीठा या मधुर रस कहा गया है ।

मधुर रस के गुण :

मीठे स्वाद वाली वस्तुओं का रस मधुर होता है। यह रस स्निग्ध, शीत, और, गुरु गुणों से युक्त है। यह सप्तधातुओं (रस, रक्त,मांस, मेद, अस्थि, मज्जा, शुक्र) का पोषण करता है। ओज, आयु की वृद्धि करता है, पांचों ज्ञानेन्द्रियों और मन को प्रसन्न, निर्मल बनाता है।यह बालों और स्वर के लिए हितकारी होता है।

मधुर रस से युक्त पदार्थ (औषधि और आहार द्रव्य) जन्म से ही अनुकूल होते हैं। अतः ये रस से शुक्र तक सभी धातुओं की वृद्धि करके व्यक्ति को बलवान बनाते हैं और उम्र बढ़ाते हैं। इनके सेवन से त्वचा का रंग में निखार आता है। मधुर रस कफ वर्धक एवं वात पित्त नाशक है अर्थात् मधुर रस कफ को बढ़ाता है एवं पित्त और वात दोष शान्त होते हैं।

मधुर रस वाली चीजें खाने से नाक, गला, मुंह, जीभ और होंठ चिकने और मुलायम होते हैं। ये शरीर को स्थिरता, लचीलापन, शक्ति और सजीवता प्रदान करते हैं। आमतौर पर मधुर रस वाले पदार्थ चिकनाई युक्त, ठंडे और भारी होते हैं। ये बालों, इन्द्रियों और ओज के लिए उत्तम होते हैं।

दुबले-पतले, कमजोर लोगों या और किसी बीमारी आदि से पीड़ित लोगों को विशेष रूप से मधुर रस युक्त आहार खाने के लिए परामर्श दी जाती है।

मधुर रस के अधिक सेवन से होने वाले नुकसान :

कई गुणों से युक्त होने पर भी मधुर रस वाली चीजों के अकेले अधिक सेवन से शरीर में कफ दोष बढ़ने लगता है । अतः कफ बढ़ने के कारण निम्न रोगों की संभावना बढ़ जाती है —

मोटापा,आलस्य, सुस्ती,अधिक नींद आना,शरीर में भारीपन,भूख ना लगना,पाचन-शक्ति की कमी,अग्नि की निर्बलता(Digestive Disturbance), प्रतिश्याय(जुखाम),प्रमेह (मूत्र सम्बन्धी रोग, मधुमेह आदि),मुंह और गर्दन आदि में मांस का बढ़ना,मूत्रकृच्छ्र (मूत्र का रुक-रुक कर या कठिनाई से आना),खाँसी, जुकाम, जुकाम के साथ बुखार,,मुँह का मीठा स्वाद,संवेदना (Sensation) की कमी,आवाज में कमजोरी, गले में सूजन व चिपचिपाहट,कंजक्टीवाइटिस (आंख आना) ।

__इसलिए मोटे, अधिक चर्बी वाले, मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति को मधुर रस का सेवन कम से कम करना चाहिए तथा पेट में कीड़े होने पर भी इससे बचना चाहिए ।

मधुर रस वाले खाद्य पदार्थ :

आयुर्वेद में वर्णित- घी, सुवर्णि, गुड़, अखरोट, केला, नारियल, फालसा, शतावरी, काकोली, कटहल, बला, अतिबला, नागबला, मेदा, महामेदा, शालपर्णाी, पृश्नपर्णाी, मुद्गपर्णाी, माषपर्णाी, जीवन्ती, जीवक, महुआ, मुलेठी, विदारी, वंशलोचन, दूध, गम्भारी, ईख, गोखरू, मधु और द्राक्षा, ये सब मधुर द्रव्यों में मुख्य हैं।

अपवाद —

पुराना चावल, पुराने जौ, मूँग, गेंहूँ, शहद मधुर रस वाले होने पर भी कफ को नहीं बढ़ाते । अतः आयुर्वेद में अन्न पुराना तथा घी नया खाने का विधान है।

2.) अम्ल रस —

जिस रस का सेवन करने से मुंह से स्राव होता है। जिसे खाने पर आंखें और भौहें सिकुड़ती हैं और दांतों में खट्टापन महसूस होता है(अर्थात् खट्टे स्वाद वाली वस्तु) वो अम्ल रस होता है।

अम्ल रस के गुण :

अम्ल रस अन्न में रुचि बढ़ाता है, अग्नि को बढ़ाता है, तेज देता है, मन को उत्तेजित करता है, इंद्रियों को बलवान करता है,शरीर को उर्जा देते हैं, हृदय के लिए हितकारी, भोजन का पाचन करता है। वात को शांत करता है, पित्त को बढ़ाता है, कफ को पिघलाता है। यह रस लघु, उष्ण, स्निग्ध गुणों से युक्त है।

यह रस पदार्थ़ों को स्वादिष्ट और रुचिकर बनाता है एवं भूख को बढ़ाता है। छूने पर यह ठंडा महसूस होता है। इसके सेवन से शरीर की ताकत बढ़ती है। अम्ल रस वाली चीजों के सेवन से मस्तिष्क अधिक सक्रिय होता है।

अम्ल रस, भोजन को निगलने और उसे गीला करने में सहायक होता है और गति बढ़ाकर भोजन को नीचे की ओर ले जाकर भी पाचन क्रिया को बढ़ाता है। ज्यादातर कच्चे फलों में अम्ल रस पाया जाता है।

अम्ल रस के अधिक सेवन से होने वाले नुकसान :

अम्ल रस का अधिक सेवन करने से पित्तदोष में वृद्धि हो जाती है । जिसके परिणामस्वरूप निम्नलिखित समस्याएं होने की संभावना बढ़ जाती है —

अधिक प्यास लगना,दाँतों का खट्टा होना,कफ का पिघलना,माँसपेशियों की टूट-फूट,दुर्बल शरीर वालों में सूजन,शरीर में कमजोरी,आँखों के सामने अन्धेरा छाना,चक्कर,खुजली,त्वचा के रोग चोट या कटने आदि से होने वाले घावों का पक जाना व उनमें पीब भर जाना,हड्डी का टूटना,गले; हृदय और छाती में जलन, बुखार,शरीर को रोमांचित करता है, रक्त को दूषित कर देता है, शरीर को सुस्त करता है, पित्त को बढ़ाकर शरीर के अंगों में जलन पैदा करता है।

अम्ल रस युक्त खाद्य पदार्थ :

आँवला, इमली, नींबू, अनार, चाँदी, छाछ, दही, आम, कमरख, कैथ और करौंदा आदि में अम्ल रस अधिक मात्रा में होता है।

अपवाद —

अनार या अनारदाना और आँवला , ये अम्ल रस वाले होते हुए भी अम्ल रस से होने वाली किसी प्रकार की हानि नहीं पहुँचाते हैं।

3.) लवण रस —

जो रस, सेवन करने पर मुख से लार टपकाता है तथा गले और कपोल(गाल) में जलन पैदा करता है, वह लवण रस कहलाता है।

लवण रस के गुण :

लवण का अर्थ नमक है, आयुर्वेद में पंच लवण अर्थात् पांच प्रकार के नमक के बारे में बताया गया है। लवण रस स्निग्ध, उष्ण गुणों से युक्त है। यह अन्न पाचक, नरम बनाने वाला, अग्नि प्रदीपक(भोजन पचाने के क्षमता बढ़ाने वाला) , तीक्ष्ण, सर(मलों को बाहर की ओर धकेलने वाला), वातनाशक होता है।शरीर के अंदर के मार्गों का शोधन करता है, आहार में रुचि उत्तपन्न करता है।

लवण रस युक्त पदार्थ वात की गति नीचे करने वाले, चिपचिपाहट पैदा करने वाले और तीक्ष्ण पाचक होते हैं। ये अंगों की जकड़न, शरीर के स्रोतों (Body Channel) की रुकावट, जमी हुई चर्बी और मल पदार्थ़ों के अधिक संचय को दूर करते हैं। लवण रस वाले पदार्थ न बहुत अधिक चिकने, न अधिक गर्म होते हैं और न अधिक भारी होते हैं। लवण रस अन्य रसों के प्रभाव को कम कर देता है।

लवण रस के अधिक सेवन से होने वाले नुकसान :

अधिक मात्रा में लवण रस युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करने से पित्त दोष के साथ(अर्थात् लवण रस अधिक सेवन से पित्त दोष कुपित हो जाता है) रक्त भी असंतुलित हो जाता है। इस कारण से निम्न समस्याएँ होने की संभावना बढ़ जाती है —

रक्त चाप (ब्लड प्रेशर) को बढ़ाता है, प्यास अधिक लगती है,गर्मी लगना,जलन,बेहोशी,मुंह पकना,नेत्रपाक,सूजन,त्वचा के रंग में विकार,शरीर के अंगों से रक्तस्राव,दाँतों का हिलना,विषैले लक्षण,झुर्रियां पड़ना,दाद,गठिया,घाव बढ़ना,बल और ओज का नाश, संज्ञानाश(अनकॉन्शियस) करता है, पौरुष क्षमता को कम करता है, बालों को असमय श्वेत करता है, गंजापन लाता है, इसके अलावा अम्लपित्त (एसिडिटी), वातरक्त(गाउट), इन्द्रलुप्त(गंजापन),बालों का सफेद होना,कुष्ठ या अन्य चर्म रोग से पीड़ित स्थान की त्वचा का गलना- सड़ना,विसर्प (Erysipelas- एक प्रकार का चर्म रोग)।

लवण रस युक्त खाद्य पदार्थ :

सेंधानमक, सौर्वचल नमक, कृष्ण, बिड, सामुद्र और औद्भिद नमक, रोमक, पांशुज, सीसा और क्षार, ये लवण रस वाले मुख्य द्रव्य हैं।

4.) कटु रस —

इस रस का सेवन करने पर मुंह में सुई चुभने जैसा दर्द महसूस होता है और जीभ के अगले हिस्से को उत्तेजित करता है । इसके अलावा यह आँख, नाक और मुँह से स्राव कराता है और कपोलों को जलाता है।

कटु रस के गुण :

कटु रस का तात्पर्य चरपरा स्वाद(जैसे मिर्च) से है। यह रस मुख का शोधन करता है,शरीर में भोजन के अवशोषण में सहायक होते हैं,इनके सेवन से भूख और पाचन शक्ति बढ़ती है,ये आंख ;कान आदि ज्ञानेन्द्रियों को ठीक प्रकार से कार्य करने योग्य बनाते हैं,अग्नि को बढ़ाता है, नाक से कफ और आँखों से आंसू लाता है, इंद्रियों को उत्तेजित करता है। सूजन, अभिष्यंद, उदर्द, स्नेह, पसीना, मल का नाश करता है । कृमियों(वर्म्स) को नष्ट करता है, जमे हुए रक्त को तोड़ता है, मार्गों को साफ करता है। कफ को शांत करता है, लघु, उष्ण,और रुक्ष होता है।

कटु रस युक्त पदार्थ कफ को शान्त करता है और जमे हुए रक्त का संचार करता है। कटु रस युक्त पदार्थ भोजन को स्वादिष्ठ बनाते हैं।

साथ ही कटु रस का सेवन इन रोगों में है लाभकारी —

मोटापा,शीतपित्त,आँतों की शिथिलता, कंजक्टीवाइटिस,खुजली,घाव,पेट के कीड़े,जोड़ों की जकड़न,गले के रोग,कुष्ठ,उदर्द,अलसक इत्यादि।

कटु रस वाली चीजों के नियमित सेवन(निर्धारित मात्रा में) से नाक व आंखों से मल पदार्थों का स्राव और स्रोतों (Body Channel) से चिपचिपे मल पदार्थों का निकास ठीक प्रकार से होता है।

कटु रस के अधिक सेवन से होने वाले नुकसान :

कटु रस युक्त आहारों में वात और अग्नि महाभूत की अधिकता होती है। इन पदार्थों का अधिक सेवन करने से निम्न समस्याएं होने की संभावना रहती हैं —

कटु रस अधिक मात्रा में सेवन करने से पुरुषत्व का नाश करता है, बल और वीर्य में कमी लाता है, बेहोशी,घबराहट,तालु और होंठों में सूखापन,थकावट,कमजोरी,चक्कर आना,ग्लानि उत्पन्न करता है, शरीर को निर्बल करता है, नेत्रों के सामने अंधकार लाता है,हाथों;पैरों व पीठ में जलन और दर्द होना,गले मे जलन तथा बुखार लाता है। वायु और अग्नि गुण की अधिकता होने से चक्कर, जलन, कंपकंपी, चुभने जैसी पीड़ा, और वात विकार पैदा करता है।

कटु रस युक्त खाद्य पदार्थ :

हींग, मरिच, पंचकोल (पिप्पली, पिप्पलीमूल, चव्य, चित्रक और शुण्ठी) तथा सभी प्रकार के पित्त, मूत्र और भिलावा आदि कटु रस वाले खाद्य पदार्थ हैं।

अपवाद —

सोंठ, पिप्पली और लहसुन, कटु रस के अन्य पदार्थ़ों के समान ज्यादा हानिकारक नहीं होते ।

5.) तिक्त(कड़वा) रस —

यह रस मुंह से लिसलिसेपन को हटाता है और जीभ को जड़ बनाता है।

तिक्त रस के गुण :

तिक्त रस का अर्थ कड़वा स्वाद है, जैसा कि नीम की पत्तियों का होता है। तिक्त रस रुक्ष शीत, और लघु गुणों से युक्त है। यह स्वयं में अरुचिकर होते हुए भी भोजन में रूचि पैदा करता है, अतः अरोचक नाशक है, विष नाशक, कृमि नाशक, मूर्च्छा नाशक, जलन, खुजली नाशक है। प्यास को शांत करता है, बुखार दूर करता है, अग्निदीपक होता है।

तिक्त रस का स्वाद भले ही बुरा हो लेकिन यह अन्य पदार्थों को स्वादिष्ट और रुचिकर बनाता है। इससे भोजन में रूचि बढ़ती है। तिक्त रस वाले पदार्थ विषैले प्रभाव, पेट के कीड़ों, कुष्ठ, खुजली, बेहोशी, जलन, प्यास, त्वचा के रोगों, मोटापे व मधुमेह आदि को दूर करते हैं।

ये वात का अनुलोमन (नीचे की ओर गति) करते हैं, शरीर में रूखापन लाते हैं। अतः शरीर की नमी, चर्बी,मेद, वसा, मोटापा, मज्जा, पसीना,लसिका, स्वेद, मूत्र,मल, पित्त, कफ तथा पुरीष को सुखाते हैं। इसके अलावा गले और यकृत् को शुद्ध करते हैं और कार्य करने में समर्थ बनाते हैं।

तिक्त रस के अधिक सेवन से होने वाले नुकसान :

तिक्त रस अधिक मात्रा में लेने पर सप्त धातुओं का शोषण करता है, शरीर की स्थूलता को कम करता है, संज्ञानाश करता है, चक्कर लाता है, मुँह को सुखाता है, और वात सम्बंधित रोगों को उत्पन्न करता है।

दूसरे शब्दों में - अधिक मात्रा में सेवन करने से तिक्तरस युक्त पदार्थ शरीर में रस (प्लाज्मा), रक्त, वसा, मज्जा तथा शुक्र की मात्रा को कम कर देते हैं। इनसे स्रोतों में खुरदरापन और मुँह में शुष्कता, शक्ति में कमी, दुर्बलता, थकावट, चक्कर, बेहोशी, वातज रोग उत्पन्न होते हैं।

तिक्त रस युक्त खाद्य पदार्थ :

पटोल, जयन्ती, सुगन्धबाला, खस, चन्दन, चिरायता, नीम, करेला, गिलोय, धमासा, महापंचमूल, छोटी और बड़ी कटेरी, इद्रायण, अतीस और वच ये सब तिक्त रस वाले पदार्थ हैं।

अपवाद —

गिलोय व पटोल तिक्त रस वाले होने पर भी हानिकारक नहीं होते।

6.) कषाय(कसैला) रस —

यह रस जिह्वा को जड़ (सुन्न कर देना) बनाता है और गले एवं स्रोतों को अवरुद्ध करता है।

कषाय रस के गुण :

कषाय रस का अर्थ कसैला स्वाद होता है। यह रस रुक्ष, शीत और गुरु गुणों से युक्त है। यह संशमक (कुपित दोषों को उनके स्थान पर ही शांत करने वाला), संग्राहक( दोष ,धातु ,मलों को संग्रह करने वाला), रोपण(हीलिंग) करने वाला, स्तम्भक, रक्त, पित्त, कफ नाशक है।

यह रस पित्त और कफ दोष को कम करता है। इसके अलावा यह अंगों से स्राव को कम करता है, घाव को जल्दी भरता है और हड्डियों को जोड़े रखने में मदद करता है। इसमें धातुओं और मूत्र आदि को सुखाने वाले गुण भी होते हैं। यही कारण है कि कषाय रस युक्त पदार्थों के सेवन से कब्ज़ की समस्या हो जाती है।

कषाय युक्त पदार्थ त्वचा को स्वच्छ बनाते हैं। ये शरीर की नमी को सोख लेते हैं। आयुर्वेद के अनुसार कषाय रस सूखा, ठंडा और भारी होता है।

कषाय रस के अधिक सेवन से होने वाले नुकसान :

कषाय रस वात को प्रकुपित करता है। यदि आप कषाय रस वाली चीजों का अधिक मात्रा में सेवन करते हैं तो आपको निम्न समस्याएँ होने की आशंका बढ़ जाती है —

कषाय रस अधिक मात्रा में उपयोग करने से मुँह सुखाता है, हृदय को पीड़ित(हृदय में दर्द होना) करता है, पेट मे वायु को फुलाता है(पेट फूलना),बोलने में रुकावट,अधिक प्यास लगना,शरीर में कमजोरी व थकावट होना,शरीर मे कालापन लाता है, पुरुषत्व और शुक्र को नष्ट करता है। पक्षवध (पैरालिसिस / पक्षाघात / लकवा), अर्दित(फेसिअल पैरालिसिस) आदि रोगों को उत्तपन्न करता है।

कषाय रस वाले खाद्य पदार्थ :

हरड़, बहेड़ा, शिरीष, खैर, शहद, कदम्ब, गूलर, कच्ची खांड, कमल-ककड़ी, पद्म, मुक्ता (मोती), प्रवाल, अञ्जन और गेरू इत्यादि कषाय रस वाले खाद्य पदार्थ हैं ।

अपवाद —

कषाय रस युक्त होने पर भी हरड़ अन्य कषाय द्रव्यों के समान शीतल और स्तम्भक (मल आदि को रोकने वाली) नहीं होती।

स्वस्थसमृद्धपरिवार व स्वस्थसमृद्धवैदिक भारत निर्माण के प्रयास में आप सभी के सहयोग,आशीर्वाद,मार्गदर्शन का अभिलाषी।आप सब से नम्र निवेद है कि महान क्रान्तिकारी श्री राजीव दीक्षित जी के अद्वित्य व्याख्यानों को जीवन में अवश्य सुनें नमस्ते वन्देमातरम् जय वेद जय आर्यावर्त ।

❝ मनुष्य/ज्ञानी/विज्ञानी/धर्मात्मा/ऋषि बनने हेतु वेद को पढ़ना व समझना होगा ; राष्ट्रभक्त बनने हेतु महान क्रान्तिकारी श्री राजीव दीक्षित जी को सुनना होगा ।

❝ सब सत्यविद्या और जो पदार्थ विद्या से जाने जाते हैं,उन सबका आदिमूल परमेश्वर है ।

❝ वेद विहित कार्य धर्म है,उसके विपरीत कार्य अधर्म है ।

निरोगी रहने हेतु महामन्त्र

मन्त्र 1 :-

• भोजन व पानी के सेवन प्राकृतिक नियमानुसार करें

• ‎रिफाइन्ड नमक,रिफाइन्ड तेल,रिफाइन्ड शक्कर (चीनी) व रिफाइन्ड आटा ( मैदा ) का सेवन न करें

• ‎विकारों को पनपने न दें (काम,क्रोध, लोभ,मोह,इर्ष्या,)

• ‎वेगो को न रोकें ( मल,मुत्र,प्यास,जंभाई, हंसी,अश्रु,वीर्य,अपानवायु, भूख,छींक,डकार,वमन,नींद,)

• ‎एल्मुनियम बर्तन का उपयोग न करें ( मिट्टी के सर्वोत्तम)

• ‎मोटे अनाज व छिलके वाली दालों का अत्यद्धिक सेवन करें

• ‎ईश्वर में श्रद्धा व विश्वास रखें

मन्त्र 2 :-

• पथ्य भोजन ही करें ( जंक फूड न खाएं)

• ‎भोजन को पचने दें ( भोजन करते समय पानी न पीयें एक या दो घुट भोजन के बाद जरूर पिये व डेढ़ घण्टे बाद पानी जरूर पिये)

• ‎सुबह उठेते ही 2 से 3 गिलास गुनगुने पानी का सेवन कर शौच क्रिया को जाये

• ‎ठंडा पानी बर्फ के पानी का सेवन न करें

• ‎पानी हमेशा बैठ कर घुट घुट कर पिये

• ‎बार बार भोजन न करें आर्थत एक भोजन पूर्णतः पचने के बाद ही दूसरा भोजन करें

Biryani

MAster%20chef%20in%20ancient%20times

Biryani%20origin

Bread

Chutney

Street%20food

There is a fruit in each sentence. Just need to identify the fruit from the given statement:-
Example:
Question : Did you see a man go by?
Answer : (Mango)

  1. He found his home lonely after his dog’s death.
  2. One dare not rob an anaconda of its prey.
  3. The crook made his escape armed with a gem.
  4. She told her uncle money was what she needed more.
  5. If I go out now, I shall miss my cousin.
  6. Either courage or anger made him move swiftly.
  7. The beggar held out his cap pleading for money.
  8. Matters regarding rape should be dealt differently.
  9. The English teacher Ryan teaches French too.
  10. He saw his papa yawning at work.
  11. He had kept on his lap lumpsum of money.
  12. Are classes for Telugu available in this city?
  13. It is easy to shape a child rather than a man.
  14. He is an extremely cheesy guy.
  15. Can I wear a khaki with a black shirt?

Answer-

  1. Melon
  2. Banana
  3. Pea
  4. Lemon
  5. FIg
  6. Orange
  7. Apple
  8. Grape
  9. Cherry
  10. Papaya
  11. Plum
  12. Guava
  13. Peach
  14. Lychee
  15. Kiwi

Cooking

हर मिठाई कुछ कहती है

रसगुल्ला
कोई फर्क नहीं पड़ता कि जीवन आपको कितना निचोड़ता है, अपना असली रूप सदा बनाये रखें

बेसनकेलड्डू
यदि दबाव में बिखर भी जाय तो फिर से बंध कर लड्डू हुआ जा सकता है। परिवार में एकता बनाए रखें

गुलाब_जामुन
सॉफ्ट होना कमजोरी नहीं है! ये आपकी खासियत है। नम्रता एक विशेष गुण है

जलेबी
आकार मायने नहीं रखता, स्वभाव मायने रखता है, जीवन में उलझने कितनी भी हो, रसीले और सरल बने रहो

बूंदीकेलड्डू
बूंदी-बूंदी से लड्डू बनता, छोटे-छोटे प्रयास से ही सब कुछ होता हैं! सकारात्मक प्रयास करते रहे

सोहन_पापड़ी
हर कोई आपको पसंद नहीं कर सकता, लेकिन बनाने वाले ने कभी हिम्मत नहीं हारी। अपने लक्ष्य पर टिके रहो

काजू_कतली
अपने आप को इतना सस्ता ना रखे कि राह चलता कोई भी आपका दाम पूछता रहे ! आंतरिक गुणवत्ता हमें सबसे अलग बनाती हैं

Vegetarians%20in%20India

फिजां में घुल रही है महक अदरक की,
आज सर्दी भी चाय की तलबगार हो गई
अदाएं तो देखिए. बदमाश चायपत्ती की,
जरा दूध से क्या मिली
शर्म से लाल हो गई...
थोड़ा पानी रंज का उबालिये
खूब सारा दूध ख़ुशियों का
थोड़ी पत्तियां ख़यालों की...
थोड़े गम को कूटकर बारीक,
हँसी की चीनी मिला दीजिये...
उबलने दीजिये ख़्वाबों को
कुछ देर तक!
यह ज़िंदगी की चाय है जनाब...
इसे तसल्ली के कप में छानकर
घूंट घूंट कर मज़ा लीजिये...!!!

Chai%20a%20poison

MAster%20chef%20in%20ancient%20times

Best%20utensil

Bread%20receipes

Chilli%20map%20of%20India

In Afghanistan the grapes are stored for up to six months, kept fresh in airtight mud-straw containers. Afghans developed this method of food preservation, which uses mud-straw containers and is known as kangina, centuries ago in Afghanistan's rural north.

Mithai%20map%20of%20India

Khichdi

Curry%20plant%20variety

Chai%20ka%20masala

Chat%20masala%20receipe

Kitchen%20King

Masala%20Raita

Thandai%20masala