Hindu Months
Vedic Months:
- Madhu maas (Hindu month- Chaitra)--Ritu-Basant
- Madhav mass (Vaishak)--Basant
- Shukr (Jyeshta)-- Grishm
- Suchi (Ashad)--Grishm
- Nabse (Sawan)--Varsha
- Nabhsyay (Bhado)--Varsha
- Isyay (Ashwin)--Sarad
- Oorjay (Kartik)--Sarad
- Sahs (Marghshirsh)--Hemant
- Sahsyay (Paush)--Hemant
- Tap (Magh)--Shishir
- Tapsyay (Fagun)--Shishir
देवता: मासा देवताः ऋषि: प्रजापतिर्ऋषिः छन्द: भुरिगत्यष्टिः स्वर: गान्धारः
मध॑वे॒ स्वाहा॒ माध॑वाय॒ स्वाहा॑ शु॒क्राय॒ स्वाहा॒ शुच॑ये॒ स्वाहा॒ नभ॑से॒ स्वाहा॑ नभ॒स्या᳖य॒ स्वाहे॒षाय॒ स्वाहो॒र्जाय॒ स्वाहा॒ सह॑से॒ स्वाहा॑ सह॒स्या᳖य॒ स्वाहा॒ तप॑से॒ स्वाहा॑ तप॒स्या᳖य॒ स्वाहा॑हसस्प॒तये॒ स्वाहा॑ ॥३१ ॥
मन्त्र उच्चारण
Vedic maas mantr.mp3
पद पाठ
मध॑वे। स्वाहा॑। माध॑वाय। स्वाहा॑। शु॒क्राय॑। स्वाहा॑। शुच॑ये। स्वाहा॑। नभ॑से। स्वाहा॑। न॒भ॒स्या᳖य। स्वाहा॑। इ॒षाय॑। स्वाहा॑। ऊ॒र्जाय॑। स्वाहा॑। सह॑से। स्वाहा॑। सह॒स्या᳖य। स्वाहा। तप॑से। स्वाहा॑। त॒प॒स्या᳖य। स्वाहा॑। अ॒ꣳह॒सः॒प॒तये॑। स्वाहा॑ ॥३१ ॥
यजुर्वेद » अध्याय:22» मन्त्र:31 उपलब्ध भाष्य
हिन्दी - स्वामी दयानन्द सरस्वती
फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ॥
पदार्थान्वयभाषाः -हे मनुष्यो ! आप लोग (मधवे) मीठेपन आदि को उत्पन्न करने हारे चैत्र के लिये (स्वाहा) यज्ञक्रिया (माधवाय) मधुरपन में उत्तम वैशाख के लिये (स्वाहा) यज्ञक्रिया (शुक्राय) जल आदि को पवन के वेग से निर्मल करनेहारे ज्येष्ठ के लिये (स्वाहा) यज्ञक्रिया (शुचये) वर्षा के योग से भूमि आदि को पवित्र करनेवाले आषाढ़ के लिये (स्वाहा) यज्ञक्रिया (नभसे) भलीभाँति सघन घन बद्दलों की घनघोर सुनवानेवाले श्रावण के लिये (स्वाहा) यज्ञक्रिया (नभस्याय) आकाश में वर्षा से प्रसिद्ध होनेहारे भादों के लिये (स्वाहा) यज्ञक्रिया (इषाय) अन्न को उत्पन्न करानेवाले क्वार के लिये (स्वाहा) यज्ञक्रिया (ऊर्जाय) बल और अन्न को उत्पन्न कराने वा बलयुक्त अन्न अर्थात् कुआंर में फूले हुए बाजरा आदि अन्न को पकाने पुष्ट करनेहारे कार्तिक के लिये (स्वाहा) यज्ञक्रिया (सहसे) बल देनेवाले अगहन के लिये (स्वाहा) यज्ञक्रिया (सहस्याय) बल देने में उत्तम पौष के लिये (स्वाहा) यज्ञक्रिया (तपसे) ऋतु बदलने से धीरे-धीरे शीत की निवृत्ति और जीवों के शरीरों में गरमी की प्रवृत्ति करानेवाले माघ के लिये (स्वाहा) यज्ञक्रिया (तपस्याय) जीवों के शरीरों में गरमी की प्रवृत्ति कराने में उत्तम फाल्गुन मास के लिये (स्वाहा) यज्ञक्रिया और (अंहसः) महीनों में मिले हुए मलमास के लिये (पतये) पालनेवाले के लिये (स्वाहा) यज्ञक्रिया का अनुष्ठान करो ॥३१ ॥
भावार्थभाषाः -जो मनुष्य प्रतिदिन अग्निहोत्र आदि यज्ञ और अपनी प्रकृति के योग्य आहार और विहार आदि को करते हैं, वे नीरोग होकर बहुत जीनेवाले होते हैं ॥३१ ॥
Bharti Raizada