All over the globe, women usually live longer than men. May be that is why females do Karva chauth for males. Vice versa is not logical.
हमारे धर्म में अनेकों व्रत त्योहार मनाए और किए जाते हैं। इन्हीं में से एक बेहद ही पावन व्रत है करवा चौथ का व्रत। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए करती हैं। यही वजह है कि इस व्रत को सुहाग और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है। करवा चौथ का त्यौहार भारतवर्ष में ( mainly in North India)भव्य पैमाने पर मनाया जाता है
24 अक्टूबर 2021 रविवार
करवा चौथ शुभ मुहूर्त
करवा चौथ पूजा मुहूर्त :17:43:11 से 18:50:46 तक
अवधि :1 घंटे 7 मिनट
करवा चौथ चंद्रोदय समय :20:07:00
मुहूर्त दिल्ली के लिए मान्य है।
करवा चौथ पर बन रहा है शुभ योग
इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और रोहिणी नक्षत्र है जो चंद्रमा का स्वयं का नक्षत्र है एवं चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृष में विराजमान रहेगा जो विशेष रूप से शुभ एवं फलदाई है चंद्रमा रात्रि में 8 बजकर 07 मिनट पर निकलेगा।
इस वर्ष बन रहा यह शुभ योग पांच वर्षों बाद बन रहा है। ज्योतिष के जानकारों की माने तो, इस वर्ष करवाचौथ व्रत की पूजा रोहिणी नक्षत्र में की जाएगी। साथ ही इस वर्ष करवाचौथ रविवार के दिन पड़ रहा है, जिससे व्रत करने वाली महिलाओं को सूर्यदेव का भी आशीर्वाद प्राप्त होगा।
ज्योतिष के अनुसार सूर्यदेव की पूजा करने से व्यक्ति को आरोग्य और दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है और करवाचौथ का व्रत महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र और स्वस्थ जीवन की कामना करती हैं। ऐसे में इस वर्ष शुभ योगों का संयोग इतना ख़ास बन रहा है कि यदि इस दिन शुभ मुहूर्त में सही विधि से पूजा करने से आप अपने पतियों की लम्बी उम्र का वरदान अपने जीवन में प्राप्त कर सकते हैं।
करवा चौथ का महत्व
करवा चौथ व्रत के दिन महिलाएं सुबह सूर्योदय से पहले ही व्रत प्रारंभ कर देती हैं और रात को चंद्र दर्शन और चंद्र पूजा के बाद ही व्रत खोला जाता है। इस दिन भगवान शिव, मां पार्वती की, और भगवान गणेश की पूजा का विधान बताया गया है। यूँ तो करवा चौथ का यह व्रत विवाह के बाद लगातार 12 या 16 वर्षों तक रहना अनिवार्य होता है हालांकि, यदि आप चाहें तो इसे आजीवन भी रख सकती हैं। पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ सबसे श्रेष्ठ उपवास बताया गया है।
करवा चौथ का शुभ व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को किया जाता है। मान्यता है कि जो कोई भी सुहागिन स्त्री इस व्रत को करती है उनके पति की उम्र लंबी होती है, उनका गृहस्थ जीवन सुखद होता है, और साथ ही उनके पति को स्वास्थ्य संबंधी कोई गंभीर परेशानी नहीं होती है। इसके अलावा कुंवारी कन्याएं भी करवा चौथ के व्रत को करती हैं जिससे उन्हें सुयोग्य या मनचाहे वर की प्राप्ति होती है।
करवा चौथ व्रत से संबंधित महत्वपूर्ण नियम
करवा चौथ व्रत के दिन चंद्रमा के दर्शन और पूजा से पहले अन्न और जल ग्रहण नहीं किया जाता है।
सुहागिन महिलाओं के लिए विवाह के बाद 12 या 16 वर्षों तक निरंतर करवा चौथ व्रत करना महत्वपूर्ण माना गया है।
करवा चौथ के दिन महिलाएं दुल्हन की तरह श्रृंगार करती हैं और आभूषण पहनती हैं।
करवा चौथ की पूजा में एक मीठा करवा और एक मिट्टी का करवा अवश्य शामिल करें।
मिट्टी के करवे से ही चंद्रमा को अर्घ्य दें।
इसके बाद भगवान शिव, मां पार्वती, और भगवान गणेश का स्मरण करें और उसके बाद अपने पूरे परिवार के साथ भोजन ग्रहण करें।
प्रेम ,सौभाग्य,व सुहाग के पर्व करवा चौथ पर सभी मातृ शक्ति को हार्दिक शुभकामनाएं
सभी का सुहाग अखण्ड रहे।सौभाग्य एवं सरस् सिंदूर चंद्रमा के समान चमकता रहे।
दाम्पत्य जीवन में प्रेम की ज्योति दिव्य और दीदाप्यमान रहे।
सूर्य के तेज के समान आप की जोड़ी हमेशा चमकती व दमकती रहे।
सुन्दरता का मुकाब्ला आज पूरे शबाब पर होगा, एक चांद दूसरे चांद के इन्तजार में होगा!!
विवाह एक भरोसा है, समर्पण है।
तारीफ उस स्त्री की, जिसने खुद का घर छोड़ दिया.
और
धन्य है वो पुरुष, जिसने अंजान स्त्री को घर सौंप दिया
मैं करवाचौथ पर व्रत क्यों रखूंगी ?
क्योंकि यह मेरा तरीका है आभार व्यक्त करने का उस के प्रति जो हमारे लिए सब कुछ करता है। मैं व्रत करूंगी बिना किसी पूर्वाग्रह के, अपनी ख़ुशी से।
अन्न जल त्याग क्यों ?
क्योंकि मेरे लिए यह रिश्ता अन्न जल जैसी बहुत महत्वपूर्ण वस्तु से भी ज़्यादा महत्वपूर्ण है। यह मुझे याद दिलाता है कि हमारा रिश्ता किसी भी चीज़ से ज़्यादा महत्त्वपूर्ण है। यह मेरे जीवन में सबसे महत्त्वपूर्ण व्यक्ति के होने की ख़ुशी को मनाने का तरीका है।
सजना सवरना क्यों ?
मेरे भूले हुए गहने साल में एक बार बाहर आते हैं। मंगलसूत्र , गर्व और निष्ठा से पहना जाता है। मेरे जीवन में मेहँदी , सिन्दूर ,चूड़ियां उनके आने से है तो यह सब मेरे लिए अमूल्य है। यह सब हमारे भव्य संस्कारों और संस्कृति का हिस्सा हैं। शास्त्र दुल्हन के लिए सोलह सिंगार की बात करते हैं। इस दिन सोलह सिंगार कर के फिर से दुल्हन बन जाईये। विवाहित जीवन फिर से खिल उठेगा।
कथा क्यों और वही एक कथा क्यों ?
एक आम जीव और एक दिव्य चरित्र देखिये कैसे इस कथा में एक हो जाते हैं। पुराना भोलापन कैसे फिर से बोला और पढ़ा जाता है , इसमें तर्क से अधिक आप परंपरा के समक्ष सर झुकाती हैं। हम सब जानते हैं लॉजिक हमेशा काम नहीं करता। कहीं न कहीं किसी चमत्कार की गुंजाईश हमेशा रहती है। वैसे भी तर्क के साथ दिव्य चमत्कार की आशा किसी को नुक्सान नहीं पहुंचाती।
मेरे पति को भी व्रत करना चाहिए ?
यह उनकी इच्छा है वैसे वो तो मुझे भी मना करते हैं। या खुद भी रखना चाहते हैं ..मगर यह मेरा दिन है और सिर्फ मुझे ही वो लाड़ चाहिए। इनके साथ लाड़ बाँटूंगी नहीं इनसे लूंगी।
भूख , प्यास कैसे नियंत्रित करोगी ?
कभी कर के देखो क्या सुख मिलता है। कैसे आप पूरे खाली होकर फिर भरते हो इसका मज़ा वही जानता है , जिसने किया हो।
चन्द्रमा की प्रतीक्षा क्यों ?
असल मे यही एक रात है जब मैं प्रकृति को अनुभव करती हूँ। हमारी भागती शहरी ज़िन्दगी में कब समय मिलता है कि चन्द्रमा को देखूं। इस दिन समझ आता है कि चाँद सी सुन्दर क्यों कहा गया था मुझे।
सभी को करवाचौथ की अग्रिम शुभकामनायें।
आपका विवाहित जीवन आपकी आत्मा को पोषित करे और आपके जीवनसाथी का विचार आपके मुख पर सदैव मीठी मुस्कान लाये। अपने पति के लिए स्वास्थय एवं लम्बी आयु की कामना अवश्य करें।
याद रखें यह देश सावित्री जैसी देवियों का है जो मृत्यु से भी अपने पति को खींच लायी थी
व्रत त्यौहार सभी इसीलिए होते हैं कि जिससे हमें अपने कर्तव्य का बोध होता रहे
यदि यह त्यौहार ना होता तो आप इन्हें सत्य का ज्ञान कैसे कराते, वास्तव में सभी त्यौहार सत्य का ज्ञान , सत्य का बोध हम सब में जगाए रखने के लिए ही बनाए गए,
बुराई त्यौहार में नहीं है बुराई हमें उन्हें भूल जाने में है।
त्योहार तो एक आशीर्वाद है जो हमारी परस्पर के मतभेद को भुलाकर हममें प्रेम व आनंद का संचार करता है
Unconditional love and sacrifice in any relationship are part of our culture. It could be in any form. However, duty or Dharma has the highest priority. Indian marriages and family systems last long as both husband and wife accept each other (and their families) unconditionally. They are each other's support in highs and lows. Prayers or fasting for family members and the community is part of the culture. Prayers do wonders in the life of others. Prayers can be done by anyone and for anyone. As per ancient science, the 'mind' has immense capabilities, even beyond this material world. Rishis used this power effectively to do almost impossible tasks.
There is no mention of Karvachauth in Veds, Upnishads, and Purans. This celebration or ritual came later on. One reason may be the following:
Males used to go out for work. Even kings and princes were going out to wars. Females used to stay at home. All they could do was pray and Tapasya for their husbands. Every human has inner shakti or strength. We all know the power of thoughts. This festival may represent female shakti and the power of their determination and thought to bring their husbands safe from war and outside work and also add years to their lives. Males did not do it as females used to live in a protected environment inside the house. Females had no risk of being killed as their husbands used to protect the kingdom and house. Female exposure to wild animals, robbers, wild animals, etc., was comparatively less.
एक पिता का करवाचौथ पर बेटी को पत्र
प्रिय पुत्री
नमस्ते
तू ससुराल में ख़ुश होगी । सारा समाज करवाचौथ का त्यौहार मनाने जा रहा है और सभी सुहागन स्त्रीयाँ आपने पति की लम्बी आयु के लिए व्रत रखेंगी। तेरी शादी के बाद यह पहला करवाचौथ है और शायद तू भी अन्य औरतों की तरह व्रत रखे। मेरे मन में इस विष्य पर कुछ विचार आये सो तुम्हें पत्र लिख रहा हूँ ।
बेटी अगर तू भी ऐसा समझती है कि व्रत रखने से पति की उम्र लम्बी होगी तो तेरी सोच भी अन्य स्त्रियों की तरह ग़लत है ।
अगर तुम सच में अपने पति की लम्बी उम्र की कामना करती हो तो ईश्वर से इसकी प्रार्थना करना तथा अपने लिए ईश्वर से माँगना कि ईशवर तुम्हारी बुद्धि को हमेशा नेक,सत्य,धर्म व पवित्रता के मार्ग पर चलाए, तेरा मन कभी चंचलता में भटक न जाए । अपने पति से हृदय से प्रीति करना । अगर उसकी लम्बी उम्र चाहती हो तो उसके मन को शांत रखना।परिवार में सब से मिल कर चलना अपने साँस ससुर की अलोचनाओं से पति के मन में कटुता मत भरना । पति के मन अनुसार व जो उसे प्रिय हो ऐसा अपना आचरण और स्वभाव रखना । उससे छिपा कर कोई ग़लत काम न करना ,लोगों में पति की बुराई न करना तथा निरादर न करना , अगर कही मन मुटाव हो तो उसे आपस में ही सुलझा लेना,पति से छिप कर कोई भोग पदार्थ न लेना , परिवार में कोई समस्या आये तो मिल जुल कर हल करना ।
वरणा आपस में अविश्वास पैदा होगा और झगड़ा होगा तथा तुम दोनों का जीवन सुखमय नहीं रहेगा और तुम दोनों का स्वस्थ भी ठीक नही रहेगा तथा लम्बी उम्र पाने की सोच व्यर्थ होगी।
बेटी अपने स्वभाव को हमेशा शान्त रखना तुम अपने शातँ भाव से बड़ी से बड़ी मुश्किल घड़ी को सरलता से सुलझा लेगी । कभी भी अपना धैर्य मत खोना । तेरी दृष्टि, तेरी वाणी ,तेरा आचरण धर्मानुसार व पति के अनुकूल और उसे प्रिय होना चाहिए । पति को ही अपना स्वामी पालन करने हारा मानना उसके अलावा किसी अन्य से प्रिति भाव न रखना । मेरी इन शिक्षाओं पर निश्चय से चलना ही असली व्रत है।
अगर तू मेरी इन बातों को मन में रख कर व्यवहार में लाएगी तो तेरा पति तेरे से हमेशा प्रसन्न चित रहेगा तथा उसके प्रसन्न रहने से उसका स्वस्थ अच्छा होगा व आयु भी लम्बी होगी । पति के प्रसन्न रहने से घर में धन लक्ष्मी व समृद्धि आयेगी और ऐश्वरय, सौभाग्य ,सुसन्तान की वृद्धि होगी । इस तरह तुम अपने पति के साथ वृद्धा अवस्था तक प्रसन्न चित ,स्वस्थ जीवन का भोग करेगी ।
व्रत स्वस्थ्य के लिय अच्छा है लेकिन अगर कोई सोचे की इससे पति की उम्र लम्बी होगी यह बिलकुल ग़लत सोच है ।पति की उम्र तो जैसे मैंने ऊपर लिखा है उसी अनुसार स्वभाव और आचरण करने से होगी । मुझे आशा है तू मेरी बातों पर अमल करेगी और भूखे रहने (वरत) के भेड़ चाल के पाखण्ड से बचेगी ।
सदैव ख़ुश रहो
तुम्हारा पिता ।
करवा चौथ जैसी प्रथाएं क्यों जन्म लेती है।
मैं आपको कहानी सुनाता हूं फिर आपको भी समझ आ जायेगा समस्या कहा है
एक बार की बात है एक बच्चा जन्म से ही अंधा था वो बड़ा हुआ जवान हुआ उसकी शादी हुई अब अंधे व्यक्ति को कोई सही लड़की तो मिल नही सकती थी तो दुर्भाग्य बस उसकी पत्नी अंधी ही थी तो अब शादी के कुछ दिन बाद जब उसकी पत्नी ने घर का काम संभालना शुरू किया तो खाना बनाते समय उनके साथ एक घटना रोज होने लगी जब उसकी पत्नी खाना बनाकर आटा गूंथने के लिये बैठती तो बिल्ली रोजाना दूध पी जाती अब ये रोज का हो गया था तो समस्या बन गई थी तो दोनो पति पत्नी ने मिलकर सोचा तो जब उसकी पत्नी खाना बनाते वक्त आटा गूंथने लगती तो अंधा व्यक्ति एक बांस की लकड़ी लेकर वही रसोई घर के दरवाजे से बैठ जाता और उस बांस की लकड़ी को धरती पर पीटने लगता तो शोर की वजह से बिल्ली आना बंद कर देती है उस घर मैं तो अब जो बहुत समय से चला आ रहा था बिल्ली आकार दूध पी जाती हैं इस कहानी का अंत हो गया ।
अब से ये बांस पीटने का क्रम शुरू हो गया महीने साल 2 साल बाद उनके घर मैं एक सुंदर बच्चे का जन्म हुआ भगवान की कृपा से बच्चा एक दम नॉर्मल था सब कुछ देख सकता था । तो वो बच्चा छोटे से ये देखते आ रहा था कि जब उसकी मां खाना बनाते वक्त आटा गूंथती है तो उसके पिता जी दरवाजे पर बांस की लंबी लकड़ी लेकर पीटने लगते हैं अब बच्चा बड़ा हुआ उसकी भी शादी हुई , उसकी भी दुल्हन आई ।
अब जब कुछ दिन बाद नई बहू ने घर मैं काम संभाला और खाना बनाते वक्त आटा गूंथने लगी तो उस लड़के ने अपनी पत्नी को कहा रुक रुक
और बाहर से एक बड़ी बांस की लकड़ी लेकर आया और दरवाजे पर पीटने लगता है तो उसकी पत्नी कहती है ये क्या है तो वो कहता है ये हमारे घर की परंपरा है मैं वर्षों से देखते हुए आ रहा हूं जब मेरी मां आटा गूंथती है तो पिताजी ऐसे ही बांस की लकड़ी से पीटते रहते हैं ।
अब नई दुलहन थी विरोध कर नही सकती उसने भी इस बात को मान लिया ।
अब भाई आप ही बताओ क्या इस लड़के को बांस की लकड़ी पीटना जरूरी था नहीं ना,
उनके पहली पीढ़ी की मजबूरी थी और फिर ये आगे ऐसे ही चलता रहा चलता रहा
व्रत रखना उत्तम बात है परंतु व्रत के नाम पर अंधश्रद्धा उचित नहीं
व्रत रखना अच्छी बात है उससे हमारे शरीर के दूषित तत्व निकल जाते हैं परंतु इसके नाम पर यह ढोंग करना कि महिला के व्रत रखने से पति की उम्र बढ़ जाएगी कहां तक उचित है
जितना जल्दी आप अंधविश्वास और पाखंड से दूर हो जाओ उतना ही आपके लिए आपके परिवार के लिए और आपके समाज के लिए अच्छा है।
वैसे भी गृहस्थ आश्रम को सर्वोत्तम आश्रम माना गया है। अतः गृहस्थ जीवन में अंधविश्वास नहीं होना चाहिए।
Many such vrat, puja, etc. came into existence because women needed rest and connections. Such occasions were opportunities to celebrate with other women of the family, community, or neighborhood. It provided a break from the rigors of daily life. These were some of the ways to reinforce a positive mindset.
स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने व्रत का कभी विरोध नही किया, उन्होंने केवल इस प्रकार के अंधविश्वास का ही विरोध किया।
पत्नी ! हर बुरे शौक-मौज से, पति को दूर रहने सम्बन्धी सँस्कार सिखाये।
पति पूर्ण स्वस्थ्य रह,साथ रहे, करबाचौथ पर संकल्पित हो,त्यौहार मनाये।।
हँसी-खुशी ही परिवार चलाये, मानसिक तनाव को,अपने व्यवहार से करे दूर।
ईश्वर पतिश्री को दीर्घायु देगा, सुखानुभूति होगी,चेहरे पर खिलेगा सदैव नूर।।
Prnav Shastri Ji's pravachan on Karvachauth.
Millions of women in bad marriages are expected to keep Karvachauth fast even though they do not want to observe this. Abuse has no place in civil society. However, it exists in many homes. One out of three women goes through domestic abuse. Should anybody be forced to follow a tradition or custom if they are not comfortable? These traditions are only good if they are done for love and with equality. Else they are just a way to push more patriarchy and subjugation to women. Think about marginalized women who are tortured for dowry, not having children, not being able to adjust, wanting to work and make friends. Many wives are sexually abused by their husbands.