New year

New Year

January 1st is celebrated as New year in many parts of the world. Hindu New year does not start from Jan 1st. So for people living outside India this issue needs some addressing. Common dilemmas are

  • Is it okay to celebrate the new year on Jan 1st?
  • Should Hindus just celebrate with others and go with the flow and norm in their country of residence?
  • Should they teach their children the concept of the Hindu new year?
  • Should they celebrate both new years?
  • What should they do or how should they respond if others wish them a new year on Jan 1st?
  • Should they avoid it or celebrate it as they are residents of that country now and country comes first before faith or religion?
  • If a foreigner is living in India, will we like his idea of not celebrating our new year?

There is no harm in celebrating the New Year on January 1st. Celebrations are always good as long as we are not demeaning others and hurting other’s feelings unnecessarily.

But be knowledgeable and contemplate why are we celebrating it, is there any significance attached to the celebration, and know the history behind it.

Before wishing others, wish a happy new year to yourself. Make resolves for yourself and make sure to implement these, otherwise, this year will be no different than previous years. It will be new only if there are changes.

Western new year:

It comes on January 1st which is a fixed date.

The celebrations start a few hrs before midnight. People do parties, eat a variety of good food, drink, dance, and watch fireworks. The countdown begins a few seconds before midnight and at midnight people wish a happy new year to each other. The next day i.e. Jan 1st is usually a non-working day for many.

It has universal acceptance. This fixed date avoids confusion and is useful for international, national, interstate, city, intercity, etc. dealings. It is useful for some things like-

  • Insurance
  • Keeping a record of everything—legal, personal, financial, etc.
  • Birthdays
  • School systems
  • Vacations scheduling
  • Filling taxes

Hindu New year/ Nav Samvatsar:

It begins on the sunrise of the tithi, Chaitra Shukla paksha pratipada. On this day creation became manifest. This day usually comes in March- April.

Hindus celebrate the new year based on either the solar or lunar calendar or Vikram/Saka calendar. The new year falls on a different date in different regions based on which calendar people follow.

The reason for the celebration is the change in weather and the celebration is at sunrise.

There is no fixed way to celebrate it. The celebration usually means pooja, prayers, wearing clean new clothes, giving daan, taking blessings from Bhagwan and elders, and distributing sweets.

Hindus do almost all auspicious ceremonies based on Hindu calendars so why celebrate the new year based on the western calendar. Hindus do Naam Karan, grahpujan, wedding, etc. based on the Hindu calendar.

What is the point of starting New year with loud noises, bright lights, alcohol consumption, cigarette smoking, illicit drug intake, eating non-veg and junk food, staying awake after a full day of work, feeling tired and sleepy, and not working on the first day of the year? Should not we welcome the new year in an auspicious way with faith, prayers, purifying the environment, fresh energy, healthy eating, and sankalps or pledges?

Septa is 7, Octa is 8, and Deca is 10. So December should be the 10th month and March should be the first month anyway.

राष्ट्रकवि श्रद्धेय रामधारी सिंह " दिनकर " जी की कविता

ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं
है अपनी ये तो रीत नहीं
है अपना ये व्यवहार नहीं
धरा ठिठुरती है सर्दी से
आकाश में कोहरा गहरा है
बाग़ बाज़ारों की सरहद पर
सर्द हवा का पहरा है
सूना है प्रकृति का आँगन
कुछ रंग नहीं , उमंग नहीं
हर कोई है घर में दुबका हुआ
नव वर्ष का ये कोई ढंग नहीं
चंद मास अभी इंतज़ार करो
निज मन में तनिक विचार करो
नये साल नया कुछ हो तो सही
क्यों नक़ल में सारी अक्ल बही
उल्लास मंद है जन -मन का
आयी है अभी बहार नहीं
ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं
ये धुंध कुहासा छंटने दो
रातों का राज्य सिमटने दो
प्रकृति का रूप निखरने दो
फागुन का रंग बिखरने दो
प्रकृति दुल्हन का रूप धार
जब स्नेह – सुधा बरसायेगी
शस्य – श्यामला धरती माता
घर -घर खुशहाली लायेगी
तब चैत्र शुक्ल की प्रथम तिथि
नव वर्ष मनाया जायेगा
आर्यावर्त की पुण्य भूमि पर
जय गान सुनाया जायेगा
युक्ति – प्रमाण से स्वयंसिद्ध
नव वर्ष हमारा हो प्रसिद्ध
आर्यों की कीर्ति सदा -सदा
नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा
अनमोल विरासत के धनिकों को
चाहिये कोई उधार नहीं
ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं
है अपनी ये तो रीत नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं

Whatsapp forward:
हम क्यो नही मानते 1 जनवरी को नया साल?

  • न ऋतु बदली.. न मौसम
  • न कक्षा बदली... न सत्र
  • न फसल बदली...न खेती
  • न पेड़ पौधों की रंगत
  • न सूर्य चाँद सितारों की दिशा
  • ना ही नक्षत्र।।

1 जनवरी आने से पहले ही सब नववर्ष की बधाई देने लगते हैं। मानो कितना बड़ा पर्व है।

नया केवल एक दिन ही नही होता..
कुछ दिन तो नई अनुभूति होनी ही चाहिए। आखिर हमारा देश त्योहारों का देश है।

ईस्वी संवत का नया साल 1 जनवरी को और भारतीय नववर्ष (विक्रमी संवत) चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है। आईये देखते हैं दोनों का तुलनात्मक अंतर:

  1. प्रकृति-
    1 जनवरी को कोई अंतर नही जैसा दिसम्बर वैसी जनवरी.. चैत्र मास में चारो तरफ फूल खिल जाते हैं, पेड़ो पर नए पत्ते आ जाते हैं। चारो तरफ हरियाली मानो प्रकृति नया साल मना रही हो I

  2. वस्त्र-
    दिसम्बर और जनवरी में वही वस्त्र, कंबल, रजाई, ठिठुरते हाथ पैर..
    चैत्र मास में सर्दी जा रही होती है, गर्मी का आगमन होने जा रहा होता है I

  3. विद्यालयो का नया सत्र- दिसंबर जनवरी वही कक्षा कुछ नया नहीं..
    जबकि मार्च अप्रैल में स्कूलो का रिजल्ट आता है नई कक्षा नया सत्र यानि विद्यालयों में नया साल I

  4. नया वित्तीय वर्ष-
    दिसम्बर-जनबरी में कोई खातो की क्लोजिंग नही होती.. जबकि 31 मार्च को बैंको की (audit) कलोसिंग होती है नए वही खाते खोले जाते है I सरकार का भी नया सत्र शुरू होता है I

  5. कलैण्डर-
    जनवरी में नया कलैण्डर आता है..
    चैत्र में नया पंचांग आता है I उसी से सभी भारतीय पर्व, विवाह और अन्य महूर्त देखे जाते हैं I इसके बिना हिन्दू समाज जीबन की कल्पना भी नही कर सकता इतना महत्वपूर्ण है ये कैलेंडर यानि पंचांग I

  6. किसानो का नया साल- दिसंबर-जनवरी में खेतो में वही फसल होती है..
    जबकि मार्च-अप्रैल में फसल कटती है नया अनाज घर में आता है तो किसानो का नया वर्ष और उतसाह I

  7. पर्व मनाने की विधि-
    31 दिसम्बर की रात नए साल के स्वागत के लिए लोग जमकर मदिरा पान करते है, हंगामा करते है, रात को पीकर गाड़ी चलने से दुर्घटना की सम्भावना, रेप जैसी वारदात, पुलिस प्रशासन बेहाल और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का विनाश..
    जबकि भारतीय नववर्ष व्रत से शुरू होता है पहला नवरात्र होता है घर घर मे माता रानी की पूजा होती है I शुद्ध सात्विक वातावरण बनता है I

  8. ऐतिहासिक महत्त्व- 1 जनवरी का कोई ऐतेहासिक महत्व नही है..
    जबकि चैत्र प्रतिपदा के दिन महाराज विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी संवत् की शुरुआत, भगवान झूलेलाल का जन्म, नवरात्रे प्रारंम्भ, ब्रहम्मा जी द्वारा सृष्टि की रचना इत्यादि का संबंध इस दिन से है I

अंग्रेजी कलेंडर की तारीख और अंग्रेज मानसिकता के लोगो के अलावा कुछ नही बदला..
अपना नव संवत् ही नया साल है I

जब ब्रह्माण्ड से लेकर सूर्य चाँद की दिशा, मौसम, फसल, कक्षा, नक्षत्र, पौधों की नई पत्तिया, किसान की नई फसल, विद्यार्थी की नई कक्षा, मनुष्य में नया रक्त संचरण आदि परिवर्तन होते है। जो विज्ञान आधारित है I

अपनी मानसिकता को बदले I विज्ञान आधारित भारतीय काल गणना को पहचाने। स्वयं सोचे की क्यों मनाये हम 1 जनवरी को नया वर्ष..?

"केवल कैलेंडर बदलें.. अपनी संस्कृति नहीं"

आओ जागेँ जगायेँ, भारतीय संस्कृति अपनायेँ और आगे बढ़ेI

और सबसे महत्वपूर्ण
अंग्रेज कभी भी नव संवत्सर की बधाई भारतीयों को नही देते है।

Following is a beautiful new year greeting in Sanskrit written and composed by Pujya Swami Tejomayananda of Chinmaya Mission.

Kshanam Pratikshanam Yannavam Navam
Taccha Sundaram Saccha Tacchivam
Varsha Nutanam Te Shubham Mudam
Uttarottaram Bhavatu Siddhidam

That which is ever new and fresh,
that alone is Good, Real and Beautiful.
May this New Year bring you greater
goodness, happiness and success.

न भारतीयो नववत्सरोSयं,
तथापि सर्वस्य शिवप्रद: स्यात् ।
यतो धरित्री निखिलैव माता,
तत: कुटुम्बायितमेव विश्वम् ।।

यद्यपि यह नव वर्ष भारतीय नहीं है। फिरभी सबके लिए कल्याणप्रद हो, क्योंकि सम्पूर्ण धरा माता ही है।
”माता भूमि: पुत्रोSहं पृथिव्या:”
अतः पृथ्वी के पुत्र होने के कारण समग्र विश्व ही कुटुम्बस्वरूप है।

आप सभी सदैव आनंद और कुशल से रहे तथा दीर्घ आयु प्राप्त करें !
आप सभी विद्या, विवेक तथा कार्यकुशलता में सिद्धि प्राप्त करें !
आप सभी ऐश्वर्य व बल को प्राप्त करें !
आप सभी में राष्ट्र भक्ति सदा बनी रहे !
आपका वंश सदैव तेजस्वी बना रहे !

सुख की सरिता बहे हमेशा हर्षित रहे हमेशा मन नई मंजिलें गले लगाएं खिला रहे जीवन का उपवन वरदहस्त हो परमेश्वर का प्रेरक बने पवित्र विचार हर पल ही उत्कर्ष हो सपने सारें हों साकार कलैंडर नववर्ष २०२२ के आगमन पर हार्दिक शुभकामनाएं

अंग्रेजी नव्वर्ष 2021 की हार्दिक बधाई एवं शुभकामना.....!!!

IKS Calendar2021.pdf

2021 Parv and Tyohar.pdf

Calender Embroidery.pdf

Incredible India Calender 2022.pdf

1 जनवरी को #क्या आप भी #खतना_दिवस (#Circumcision_Day) मनायेंगे?
https://en.m.wikipedia.org/wiki/Circumcision_of_Jesus
अंग्रेजी नव वर्ष अर्थात् प्रत्येक 1 जनवरी कुछ लोगों के लिए ख़ुशी और जोश से मनाया जाने वाल दिन है क्योंकि क्रिसमस(25 दिसंबर) के दिन ईसा साहब पैदा हुए और इस क्रिसमस के आठवें दिन(1 जनवरी) को ईसा साहब का #खतना” (लिंग की रक्षार्थ चमड़ा ‘खिलड़ी’ काटना) हुआ था। ये खतना मुस्लिम समुदाय में भी किया जाता है। अतः ये तो सिद्ध हुआ कि ये दोनों संस्कृति कुछ भेद से एक हैं। अतः ईसा साहब के पैदा होने से आठवें दिन जो “लिंगचर्म छेदन” अर्थात् खतना हुआ वहीं दिन ईसाईयों का नया साल है।
On the eighth day, when it was time to circumcise the child, he was named Jesus, the name the angel had given him before he was conceived.
Luke 2:21
और जब आठवाँ दिन आया तो तो उस बालक का खतना किया गया जिसका नाम यीशु रखा गया था। उसे यह नाम उसके गर्भ में आने से पूर्व भी पहले स्वर्गदूत द्वारा दे दिया गया था।
लूका २ | २१

https://www.omraizada.com/home/hindu-new-year

Month word comes from Moon.
January: named after Janus, the god of doors and gates. He has two faces and can see past and future.
February: named after Februalia Goddess, a time period when sacrifices were made to atone for sins. Februa is a Roman festival for purification.
March: named after Mars, the god of war. Roman calender originally began in March.
April: from aperire, Latin for -to open (buds), to start, beginning. (? beginning of year) May: named after Maia ( mother of Mercury God), the goddess of growth of plants.
June: from junius, Latin for the goddess Juno. Goddess for marriage and child birth. Wife of Jupiter/Zeus.
July: named after Julius Caesar in 44 B.C. July was originally called Quintilis meaning fifth.
August: named after Augustus Caesar( Rome's first emperor) in 8 B.C. August was originally called sextilis meaning sixth.
September: from septem, Latin for seven.
October: from octo, Latin for eight.
November: from novem, Latin for nine.
December: from decem, Latin for ten.

Hindu calender is based on moon phases. It has 28 days in a month. 13 months and 28 days in a month make a year of 365 days.

New year by Acharya Ashish Arya-1

New Year by Acharya Ashish Arya-2

Hindu%20New%20Year%201

सर्वेषां शुभाकृत नाम हिन्दू संवत्सर शुभाषयाः
The name of this year(2021 english calender) is Shubhakrit.

नववर्षस्य नवरात्रस्य च शुभकामनाः। नवसंवत्सरः सर्वेभ्यो मङ्गलमयः स्तात्।
गुढीपाडवा आणि नववर्षाच्या शुभेच्छा।

सृष्टिस्थितिविनाशानां शक्तिभूते सनातनि
गुणाश्रये गुणमये नारायणि नमोस्तु ते।

तुम्हाला सुद्धा आमच्याकडुन गुडीपाडवाच्या भरभरून शुभेच्छा
येणारे संवत्सर आरोग्यदायी आणि भरभराटीचे जावो

समत्वभावं सर्वोच्चभावम्।
आलम्ब्य तं त्वं कुरु जन्म धन्यम्।।
बुद्ध: वदति नूतनवर्षपर्वणि।
बुद्धं नमाम: भारतवासिनो वयं।।
नूतनसंवत्सर आगमन के इस पावनपर्व पर आपको प्रणाम।

स्वस्तिकामनाएं

अत्यद्भुतं भवतु अग्रिमं वर्षम्।
विक्रम संवत २०७९

स्त्रष्टा स्वयंभूर्भुवनत्रयस्य
त्राता हरीशो हरते पिनाकी।
एकस्त्रिधा ऋग्यजु: सामपूर्ति
तस्मै नमः श्रीरविनंदनाय।।
अर्थ:-
जो स्वयं सृष्टि को बनाने वाले हैं,जो ब्रह्मा, विष्णु और महेश के त्राता हैं या तीनों देवताओं में एक आप ही स्थित हैं,एक ऋग, यजु और साम मूर्ति हैं (वेदमय) हैं, मैं उन सूर्य पुत्र शनि को नमस्कार करता हूं।'

देवि प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद
प्रसीद मातर्जगतोऽखिलस्य ।
प्रसीद विश्वेश्वरि पाहि विश्वं
त्वमीश्वरी देवि चराचरस्य।।
अर्थ:-
शरणागत की पीड़ा दूर करनेवाली देवि! हम पर प्रसन्न होओ। सम्पूर्ण जगत की माता! प्रसन्न होओ। विश्वेश्वरि! विश्व की रक्षा करो। देवि!तुम्हीं चराचर जगत की अधीश्वरी हो।'

2023 Calender Vishwaguru Bharat.pdf

ओउम् शन्नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीते ।शंयोरभि स्त्रवन्तु नः ॥ भावार्थ — हे।दयामय आप हम सब को सदा कल्याण दें शान्ति शुचिकर स्वस्थ कर हों , दिव्य। बल दें प्राण दें । रोग से भय संकटों से , दुखों से ,संताप से मुक्त हो पावें स दी। सुख शान्ति वर्षा आप से ।
अपनी झोली तो खोलो ज़रा अपनी झोली तो खोलो ज़रा देने वाला है भर जायेगा । देने वाला है भर जाय गा । नव वर्ष कीं हार्दिक शुभ काम नासें

नव क्षण,नवमुहूर्त, नवदिन, नववर्ष, यहां तक नव वस्त्र और नव व्यंजन भी सदा हमें ऊर्जित करते हैं,नव्यता का वरदान देते हैं।
जीवन में नूतनता की आकांक्षा का अर्थ है हमारे अस्तित्व की चेतना पूर्ण उपस्थिति।
हम सूर्य की ज्योति , चन्द्रमा की ज्योत्स्ना, पवन के प्रवाह ,फूलों की सुगंध और नदी की तरंग की तरह अन्तः और बाह्य स्वरूप से नवनीत सदृश रूपांतरित हों। हम आशा,उत्साह,आत्मविश्वास, विश्वास,सुरक्षा,मार्गदर्शन,शक्ति,बुद्धि, ईश्वरीयसत्ता आदि अलौकिक अनुभूतियों के नए आयाम तक पहुंचने के लिए अपनी नई यात्रा की शुरुआत करें। यह यात्रा नितांत निजी भी हो और भावपूर्ण भी।

Aryasamaj2024calender.pdf

Bharti Raizada