Raavan-- Good or Evil
Some social media posts are glorifying Raavan.
एक महान ज्ञानी, महान पंडित, महान ज्योतिषज्ञ, महान वैज्ञानिक और भी न जाने क्या-क्या। जिस आदमी ने हवाई जहाज, पुष्पक विमान के रूप में उस जमाने में उडा के दिखा दिया। जिसकी चारपाई से काल बंधा हमेशा रहता था। ऐसे महान आदमी का हर साल पुतला फूंकना कहाँ तक उचित है। उसका एकमात्र अपराध सीता का हरण था बो भी उसने अपनी बहिन की नाक काटने के बाद, प्रतिशोध के रूप में किया था। रावण जानता था कि सीता उसकी पुत्री है और परस्त्री है इसीलिए उसने सीता को अपने महल से 12 सौ योजन दूर रखा था। उस समय के राजाओं को किसी भी स्त्री को पत्नि बनाना कोई बडी बात नहीं थी। फिर भी रावण ने सारी मर्यादा को जीवित रखा। और दुसरे रूप में देखें तो रावण जानता था कि राम भगवान् विष्णु का रूप है इनके दुआरा मृत्यु को प्राप्त होने बाले को मोक्ष की प्राप्ति होगी, इसलिए उसने अपने सभी भाई-बंधू को युध्द के मैदान में भेजकर मोक्ष दिलवाया बाद में अन्तिम समय में खुद मैंदान में आया।और मोक्ष को प्राप्त किया। हम लोग अनजाने में उस महान आत्मा को हर साल लज्जित करते हैं।
Raavan is the first known Tamil King who ruled Lanka.He got the blessings of Shiv and lived as his disciple.He was a great musician and played Veena. Raavan wanted to take revenge for his sister. Although Raavan abducted Sita, he never took advantage of her. He waited for her acceptance. There is a myth that if Raavan touched her with bad thought, his head would burst into 1thousand pieces. Then why his head didn't explode when he abducted her? There is no proof in Ramayan that Raavan ever doubted his wife Mandodari.
Some are answering these posts:
--ये झूठ है कि रावण ने सीता माता को स्पर्श नही किया. बिना स्पर्श करे - - सीता माता अशोक वाटिका मे कैसे पहुंच गयी ।।। क्या अपने आप
How did Ravan abduct Sita without touching her? Why was he repeatedly going to Ashok Vatika to pressurize Sita? He even took Sita to war scene when Ram and Laxman were unconscious. He made Sita believe that both Ram and Laxman have died.
--आजकल सोशल मिडिया मे रावण के पक्ष मे लाबिंग करने का चलन - - प्रारंभ हुआ है
वैसे ही जैसे हमारी संस्कृति के उच्च मापदण्डों की मजाक का चलन चल रहा है - -लेफ्टिस्टो द्वारा - - 【घोर षडयंत्र】
-- "रावण" मे कोई संकल्प नही था
था तो सिर्फ और सिर्फ सीता माता का तेज, तपस्या , और पवित्रता से - - डर
-- भाई जी में रावण की दूरदर्शिता की बात कर रहा हूँ कि जिसके परिवार में से सारे भाई-भतीजे, बेटे,रिश्तेदार, सारे एक-एक कर युध्द के मैदान में मारे जा रहे हो। और एक महान योध्दा उनको मरता हुआ देखता रहे क्या ये सम्भव है।
--आजकल सोशल मीडिया पर एक ट्रेंड बहुत तेजी से चल पड़ा है....रावण का बखान
इसलिए कि उसने माता सीता को कभी छुआ नहीं ?
अरे भाई ! माता सीता को नहीं छूने का कारण उसकी भलमनसाहत नहीं, बल्कि कुबेर के पुत्र “नलकुबेर” द्वारा दिया गया श्राप था कि यदि किसी स्त्री को उसकी इच्छा विरुद्ध छुआ, तो उसके सिर के टुकड़े-टुकड़े हो जायेंगे।
इसलिए कि अपनी बहन के अपमान के लिये पूरा कुल दाँव पर लगा दिया? जी हाँ ! ... ये भी ठीक। Why did he abduct Sita? Why he did not abduct Laxman or cut his nose? Why he did not fight with Ram and Laxman to take revenge?
नए बुद्धिजीवी लोग ये कहानी सुनाने बैठ जाते हैं कि एक माँ अपनी बेटी से ये पूछती है कि तुम्हें कैसा भाई चाहिये ?
बेटी का जवाब होता है...रावण जैसा....जो अपनी बहन के अपमान का बदला लेने के लिये सर्वस्व न्यौछावर कर दे। ( These females do not see the character of Laxman. LAxman was away from his wife for so many days/years, still he did not get lured by Surpankha. Why these females do not want a husband like Ram and Laxman who never cheated their wives. Who will wish for a brother like Ravan who abducted someone's wife by use of deceitful tactics?
भद्रजनों ! ऐसा बिल्कुल भी नहीं है।
रावण की बहन सूर्पणखां के पति का नाम विद्युतजिव्ह था, जो राजा कालकेय का सेनापति था। जब रावण तीनो लोकों पर विजय प्राप्त करने निकला तो उसका युद्ध कालकेय से भी हुआ, जिसमें उसने विद्युतजिव्ह का वध कर दिया, तब सूर्पणखा ने अपने ही भाई को श्राप दिया कि, तेरे सर्वनाश का कारण मैं बनूँगी।
कोई कहता है कि रावण अजेय था।
जी नहीं.. प्रभु श्रीराम के अलावा उसे वानर राज बाली ने भी हराया था।
वो एक प्रकांड पंडित था ? जी हाँ था तो ....
लेकिन रावण का विद्वान होना ही पर्याप्त था ? जो व्यक्ति अपने ज्ञान को यथार्थ जीवन में लागू ना करे, वो ज्ञान विनाशकारी होता है। रावण ने अनेक ऋषि मुनियों का वध किया,अनेक यज्ञ ध्वंस किये, ना जाने कितनी स्त्रियों का अपहरण किया। यहाँ तक कि स्वर्ग लोक की अप्सरा 'रंभा' को भी नहीं छोड़ा जो रिश्ते में उसकी बहू थी।
एक गरीब ब्राह्मणी 'वेदवती' के रूप से प्रभावित होकर जब वो उसे बालों से घसीट कर ले जाने लगा तो वेदवती ने आत्मदाह कर लिया, और वो उसे श्राप दे गई कि तेरा विनाश एक स्त्री के कारण ही होगा।
जरुरी है अपने हृदय में राम को जिन्दा रखना क्योंकि ... सिर्फ पुतले जलाने से रावण नहीं मरा करते। विधर्मीयों द्वारा फैलाई गई बातों पर न जायें।
--Rambha was daughter in law of Ravana's brother ( Kuberas dil) and wife of Nalakuvara so technically Ravana raped his daughter in law stating apsaras are meant to be taken advantage off.
--Even if Laxman cut Surpankha's nose, why Raavan kidnapped Sita. He could have fought with Laxman. Raavan sent Ram away deceitfully and then kidnapped Sita. If he was so powerful and intelligent then why he did not directly fight with Ram and Laxman?
-- Is kidnapping someone okay? Raavan took Sita and kept her captive. Sita did not give her consent for this. Who will like to have a brother who kidnaps someone's wife and keep her hostage forcefully?
-- Lanka was rich and prosperous and Raavan may be an ardent devotee of Shiv but there was no Dharm and righteousness in Lanka. Raavan was a king but he was not working towards the happiness of his people whom he was ruling. Raavan did not even listen to his wife Mandodari when she advised him to release Sita and ask for forgiveness from Ram.
हर रामनवमी पर यह एक संदेश वायरल होता है कि कैसे रावण एक फेमिनिस्ट (नारीवादी) प्रतीक है क्योंकि – (क्या आप इस बात का विश्वास करेंगे !!) - 'वह कन्सेंट (सहमति) को समझता था '। यह सन्देश कहता है कि रावण चाहता तो सीता के साथ ज़बरदस्ती कर सकता था, परन्तु फिर भी उसने ज़बरदस्ती नहीं की – यह बात रावण के अच्छे चरित्र का परिचय देती है। ऐसा लगता है, कि एक महिला का अपहरण और उस पर दबाव बनाना, इन सन्देश भेजने वालों के लिए कोई मायने नहीं रखता है। तो आइये समझते हैं कि रावण ने सीता पर ज़बरदस्ती क्यों नहीं की?
वाल्मीकिजी हमें बताते हैं कि रावण ने अपने जीवन में कई महिलाओं का अपहरण और बलात्कार किया था। ऐसा प्रतीत होता है कि अधिकांश ने अंततः रावण के क्रोध और शक्ति के आगे घुटने टेक दिए। लेकिन कम से कम तीन ऐसी महिलाएं थीं जिन्होंने पूरी ताकत से उसका विरोध किया। ये तीन महिलाएं हैं वेदवती, रंभा और पुंजिकस्थला।
वेदवती एक तपस्विनी थीं। जब रावण ने उसके बाल खींचने और उसके साथ ज़बरदस्ती करने की कोशिश की, तो उसने रावण को श्राप देकर आग में कूदने का फैसला किया। वेदवती ने रावण को श्राप दिया कि वह उसकी मृत्यु का कारण बनेंगीं। (कहा जाता है कि उनका सीता के रूप में पुनर्जन्म हुआ था)
रम्भा कुबेर की बहू थी। इस प्रकार वह रावण की बहू भी थी (कुबेर और रावण सौतेले भाई थे)। जब रावण अभद्रता करने लगा, तो रम्भा ने रावण से उसे जाने देने की गुहार लगाई क्योंकि वह उसके पिता के समान था। लेकिन रावण वासनामुक्त हो, रिश्ते की पवित्रता देखने के लिए तैयार हे नहीं था। रावण ने रम्भा के साथ दुष्कर्म किया। रंभा ने इस घटना के बारे में अपने पति नलकुबेर को बताया। दोनों ने रावण को श्राप देते हुए कहा कि अगर उसने किसी और महिला को इस तरह से जबरदस्ती करने का प्रयत्न किया, तो उसका सिर फट जाएगा।
पुंजिकस्थला एक अन्य महिला थी जो रावण की शिकार हुई थी। कहा जाता है कि वह अपनी बात ब्रह्माजी के पास ले गई जिन्होंने रावण को श्राप दिया (रम्भा के श्राप के समान) था। रंभा और वेदवती के उदाहरण उत्तर काण्ड में हैं। पुंजिकस्थला का विवरण युद्ध काण्ड में है। यह बात स्वयं रावण ने अपने एक मंत्री के सामने प्रकट की थी, जिसने सोचा था कि रावण सीता के सहमत होने की प्रतीक्षा क्यों कर रहा था जबकि वह उसे वैसे भी प्राप्त कर सकता है।
वास्तव में, रावण की सीताजी को अंतिम चेतावनी इस प्रकार थी (जब सीताजी ने रावण कि आज्ञा पालन करने से इन्कार कर दिया था ।)
"यदि तू 2 महीने में मेरे बिस्तर पर नहीं आई (शयनम् आरोह), तो मैं तेरा वध कर दूंगा और तुझे नाश्ते में खाऊंगा"।
द्वौ मास रक्षितव्यौ मे योविदिसते मया कृताः |
तत्ततः शयनमारोह मम त्वं वरवर्णिनि || ५-२२-८
इन तीनों श्रापों ने रावण के मन में भारी डर डाला था और यह डर उसे सीता के साथ जबरदस्ती करने से रोक रहा था। यह मामला कंसेंट (सहमति) के बारे में बिलकुल नहीं था।
Ravan also kidnapped Maya who was sister of his wife.
Ravan ( The one who can make the world cry) was son of Vishrava (father) and Kaikesi (mother). He was grandson of Rishi Pulastaya who was one of saptrishis. His siblings were Surpankha, Vibheeshan, and Kumbhkaran. Kuber was his cousin. He was a devotee of Shiv and wrote Shiv Tandav Strot.
Dusshera:
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437 years ago on Vijaydashmi of 1583 , the most important battle of this subcontinent was fought between Maharana Pratap Singh Of Mewar and Mughal forces of Akbar at Dewair .
In the next two days Pratap not only won Dewair but also regained Kumbhalgarh , Amet , Udaipur and all of Mewar except Chittor fort .
Pratap slaughtered 36,000 Mughals and destroyed 86 Mughal Thaanas .
The fury with which Pratap struck has been best expressed by British historian Col. James Tod -
Pratap made a desert out of Mewar . Among Pratap’s main generals was an Oswal Jain Baniya , Bhaama Shah who led the right flank . Among Pratap’s army were Bheels who had literally raised Pratap .
Hindus of Mewar United to defeat the barbarians from the desert death cult .
Pratap lived a free and just king till his Devlok Gaman in 1597 .
Akbar never dared attack Mewar after Dewair .
Was it a coincidence that Pratap chose Vijaydashmi to avenge his ancestors or was Pratap following a divine path laid by his glorious ancestor Bhagwan Shree Ram ?
That is for all of us to figure out as we set out to celebrate yet another Parv of Vijaydhasmi .
Har Har Mahadev !!!!
Bharti Raizada