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Shrikant Jichkar
एक अजूबा : श्रीकांत जिचकर
इनके बराबर कोई हुआ हो तो बताइए जरूर
कोई आपसे पूछे भारत के उस सबसे पढ़े-लिखे व्यक्ति का नाम बताये.......ऐसा व्यक्ति जो डॉक्टर, बैरिस्टर, आईएएस, आईपीएस, विधायक, मंत्री, सांसद, चित्रकार, छायाकार,पेंटर, मोटिवेशनल स्पीकर, पत्रकार, कुलपति, संस्कृत/गणित विद्वान, इतिहासकार, समाजशास्त्री, अर्थशास्त्री रहा हो और जिसने, काव्य रचना भी की हो तो,
शायद आप कहेंगे, नही ऐसा कोई नही बल्कि अधिकांश लोग यही कहेंगे, क्या ऐसा संभव है..?
आप एक व्यक्ति की बात कर रहे हैं या किसी संस्थान की..!
जी हम बात कर रहे एक व्यक्ति की........भारतवर्ष में ऐसा व्यक्ति जन्मा था और जिसने 49 वर्ष की अल्पायु में एक भयंकर सड़क हादसे में इस संसार से विदा भी ले ली थी।
उस व्यक्ति का नाम है "श्रीकांत जिचकर..."
एक अजूबे श्रीकांत जिचकर का जन्म 1954 में संपन्न मराठा कृषक परिवार में हुआ था। वह भारत के सर्वाधिक पढ़े-लिखे व्यक्ति थे, जिनका बुक ऑफ लिम्का में रिकॉर्ड दर्ज है।
श्रीकांत जी ने 43 से ज्यादा कॉलेजों से 20 से अधिक डिग्री हासिल की थी। रेगुलर व पत्राचार के माध्यम से वह भी फर्स्ट क्लास गोल्ड मेडलिस्ट।
कुछ डिग्रियां तो उच्च शिक्षा में नियम ना होने के कारण उन्हें नहीं मिल पाई, हालांकि इम्तिहान उन्होंने दे दिया था। उनकी डिग्रियां शैक्षणिक योग्यता इस प्रकार थी... MBBS, MD gold medalist, LLB ,LLM, MBA, Bachelor in journalism, संस्कृत में डिलीट की उपाधि यूनिवर्सिटी टॉपर, एमए इंग्लिश, एमए हिंदी, एमए हिस्ट्री, एमए साइकोलॉजी, एमए सोशियोलॉजी, एमए पॉलिटिकल साइंस, एमए आर्कियोलॉजी, एमए एंथ्रोपोलॉजी, 1978 बैच #आईपीएस, 1980 बैच #आईएएस अधिकारी, 1981 विधायक फिर मंत्री 1992 से लेकर 1998 तक राज्यसभा सांसद
श्रीकांत जिचकर के जीवन के वर्ष 1973 से लेकर 1990 तक की प्रत्येक गर्मी व सर्दी का सीजन तमाम यूनिवर्सिटी के #इम्तिहान देने में गुजरा।
1980 #आईएएस की 4 महीने की केवल नौकरी कर इस्तीफा दे दिया।
26 वर्ष की उम्र में देश के सबसे कम उम्र के #विधायक बने, महाराष्ट्र सरकार में मंत्री भी बने।
14 पोर्टफोलियो हासिल कर सबसे प्रभावशाली #मंत्री रहे। महाराष्ट्र पुलिस में सुधार किया।
1992 से लेकर 1998 तक बतौर #राज्यसभा_सांसद संसद की बहुत सी समितियों के सदस्य रहे वहां भी महत्वपूर्ण कार्य किया।
1999 में भयंकर #कैंसर एंड स्टेज डायग्नोज हुआ डॉक्टर ने कहा आपके पास केवल एक महीना है। अस्पताल पर #मृत्यु_शैया पर पड़े हुए थे... लेकिन आध्यात्मिक विचारों के धनी श्रीकांत जिचकर ने आस नहीं छोड़ी उसी दौरान कोई सन्यासी अस्पताल में आया उसने उन्हें ढांढस बंधाया संस्कृत भाषा, शास्त्रों का अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया कहा "तुम अभी नहीं मर सकते... अभी तुम्हें बहुत काम करना है..." चमत्कारिक तौर से श्रीकांत जिचकर पूर्ण स्वस्थ हो गए।
स्वस्थ होते ही राजनीति से सन्यास लेकर, संस्कृत में डिलीट की उपाधि अर्जित की।
वह कहा करते थे संस्कृत भाषा के अध्ययन के बाद मेरा जीवन ही परिवर्तित हो गया है, मेरी ज्ञान पिपासा अब पूर्ण हुई है।
पुणे में #संदीपनी°_स्कूल की स्थापना की, नागपुर में कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना की जिसके पहले #कुलपति भी बने।
उनका #पुस्तकालय किसी व्यक्ति का सबसे बड़ा #निजी_पुस्तकालय था जिसमें 5,2000 के लगभग #पुस्तके थी।
उनका एक ही सपना बन गया था भारत के प्रत्येक घर में कम से कम 1 संस्कृत भाषा का विद्वान हो तथा कोई भी परिवार मधुमेह, विलासिता जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों का शिकार ना हो। यूट्यूब पर उनके केवल 3 ही मोटिवेशनल हेल्थ फिटनेस संबंधित वीडियो उपलब्ध है।
ऐसे #असाधारण लोग #आयु के मामले में #निर्धन होते हैं, अति मेधावी अति प्रतिभाशाली व्यक्तियों का जीवन ज्यादा लंबा नहीं होता, शंकराचार्य, महर्षि दयानंद सरस्वती भी अधिक उम्र नहीं जी पाए थे।
2 जून 2004 को नागपुर से 60 किलोमीटर दूर महाराष्ट्र में ही भयंकर सड़क #हादसे में श्रीकांत जिचकर का #निधन हो गया |
संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार Holistic health को लेकर उनका कार्य अधूरा ही रह गया!
(नोट: हमें अपने ज्ञान, शैक्षिक योग्यता, पद पर अभिमान नहीं करना चाहिए। एक से एक धुरंधर इस दुनिया में हो कर चले गए कितने जाने की तैयारी मे है।
अद्भुत, अकल्पनीय, अविश्वसनीय किन्तु सत्य
आपसे कोई पूछे भारत के सबसे अधिक शिक्षित एवं विद्वान व्यक्ति का नाम बताइए, जो,
⭕ डॉक्टर भी रहा हो,
⭕ बैरिस्टर भी रहा हो,
⭕ IPS अधिकारी भी रहा हो,
⭕ IAS अधिकारी भी रहा हो,
⭕ विधायक, मंत्री, सांसद भी रहा हो,
⭕ चित्रकार, फोटोग्राफर भी रहा हो,
⭕ मोटिवेशनल स्पीकर भी रहा हो,
⭕ पत्रकार भी रहा हो,
⭕ कुलपति भी रहा हो,
⭕ संस्कृत, गणित का विद्वान भी रहा हो,
⭕ इतिहासकार भी रहा हो,
⭕ समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र का भी ज्ञान रखता हो,
⭕ जिसने काव्य रचना भी की हो !
अधिकांश लोग यही कहेंगे -
"क्या ऐसा संभव है ?आप एक व्यक्ति की बात कर रहे हैं या किसी संस्थान की ?"
पर भारतवर्ष में ऐसा एक व्यक्ति मात्र 49 वर्ष की अल्पायु में भयंकर सड़क हादसे का शिकार हो कर इस संसार से विदा भी ले चुका है !
उस व्यक्ति का नाम है-
डॉ. श्रीकांत जिचकर !
श्रीकांत जिचकर का जन्म 1954 में एक संपन्न मराठा कृषक परिवार में हुआ था !
वह भारत के सर्वाधिक पढ़े-लिखे व्यक्ति थे, जो गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज है !
डॉ. श्रीकांत ने 20 से अधिक डिग्री हासिल की थीं !
कुछ रेगुलर व कुछ पत्राचार के माध्यम से !
वह भी फर्स्ट क्लास, गोल्डमेडलिस्ट, कुछ डिग्रियां तो उच्च शिक्षा में नियम ना होने के कारण उन्हें नहीं मिल पाई, जबकि इम्तिहान उन्होंने दे दिया था !
उनकी डिग्रियां/ शैक्षणिक योग्यता इस प्रकार थीं...
✔️MBBS, MD gold medalist,
✔️LLB, LLM,
✔️MBA,
✔️Bachelor in journalism ,
✔️संस्कृत में डी. लिट. की उपाधि, यूनिवर्सिटी टॉपर ,
✔️M. A इंग्लिश,
✔️M.A हिंदी,
✔️M.A हिस्ट्री,
✔️M.A साइकोलॉजी,
✔️M.A सोशियोलॉजी,
✔️M.A पॉलिटिकल साइंस,
✔️M.A आर्कियोलॉजी,
✔️M.A एंथ्रोपोलॉजी,
✔️श्रीकान्तजी 1978 बैच के आईपीएस व 1980 बैच के आईएएस अधिकारी भी रहे !
✔️1981 में महाराष्ट्र में विधायक बने,
✔️1992 से लेकर 1998 तक राज्यसभा सांसद रहे !
❗श्रीकांत जिचकर ने वर्ष 1973 से लेकर 1990 तक का समय यूनिवर्सिटी के इम्तिहान देने में गुजारा !
❗1980 में आईएएस की केवल 4 महीने की नौकरी कर इस्तीफा दे दिया !
❗26 वर्ष की उम्र में देश के सबसे कम उम्र के विधायक बने, महाराष्ट्र सरकार में मंत्री भी बने,
❗14 पोर्टफोलियो हासिल कर सबसे प्रभावशाली मंत्री रहे !
❗महाराष्ट्र में पुलिस सुधार किये !
❗1992 से लेकर 1998 तक बतौर राज्यसभा सांसद संसद की बहुत सी समितियों के सदस्य रहे, वहाँ भी महत्वपूर्ण कार्य किये !
❗1999 में कैंसर लास्ट स्टेज का डायग्नोज हुआ, डॉक्टर ने कहा आपके पास केवल एक महीना है !
अस्पताल पर मृत्यु शैया पर पड़े हुए थे...
लेकिन आध्यात्मिक विचारों के धनी श्रीकांत जिचकर ने आस नहीं छोड़ी ।
उसी दौरान कोई सन्यासी अस्पताल में आया। उसने उन्हें ढांढस बंधाया ।
संस्कृत भाषा, शास्त्रों का अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया । कहा- "तुम अभी नहीं मर सकते...अभी तुम्हें बहुत काम करना है...!"
चमत्कारिक तौर से श्रीकांत जिचकर पूर्ण स्वस्थ हो गए...!
स्वस्थ होते ही राजनीति से सन्यास लेकर...संस्कृत में डी.लिट. की उपाधि अर्जित की ! वे कहा करते थे - "संस्कृत भाषा के अध्ययन के बाद मेरा जीवन ही परिवर्तित हो गया है ! मेरी ज्ञान पिपासा अब पूर्ण हुई है !"
पुणे में संदीपनी स्कूल की स्थापना की,
नागपुर में कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना की, जिसके पहले कुलपति भी वे बने !
उनका पुस्तकालय किसी व्यक्ति का निजी सबसे बड़ा पुस्तकालय था, जिसमें 52000 के लगभग पुस्तकें थीं !
उनका एक ही सपना बन गया था, भारत के प्रत्येक घर में कम से कम एक संस्कृत भाषा का विद्वान हो तथा कोई भी परिवार मधुमेह जैसी जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों का शिकार ना हो !
यूट्यूब पर उनके केवल 3 ही मोटिवेशनल हेल्थ फिटनेस संबंधित वीडियो उपलब्ध हैं !
ऐसे असाधारण प्रतिभा के लोग, आयु के मामले में निर्धन ही देखे गए हैं ।
अति मेधावी, अति प्रतिभाशाली व्यक्तियों का जीवन ज्यादा लंबा नहीं होता ।
शंकराचार्य, महर्षि दयानंद सरस्वती, विवेकानंद भी अधिक उम्र नहीं जी पाए थे !
2 जून 2004 को नागपुर से 60 किलोमीटर दूर महाराष्ट्र में ही भयंकर सड़क हादसे में श्रीकांत जिचकर का निधन हो गया !
संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार व Holistic health को लेकर उनका कार्य अधूरा ही रह गया !
2 जून को डॉ. श्रीकांत की 16 वीं पुण्य तिथि थी। विभिन्न व्यक्तियों के जन्म दिवस को उत्सव की तरह मनाने वाले हमारे देश में ऐसे गुणी व्यक्ति को कोई जानता भी नहीं है, जिसके जीवन से कितने ही युवाओं को प्रेरणा मिल सकती है।
ऐसे शिक्षक, ज्ञानी, उत्साही व्यक्तित्व, चिकित्सक, विधि विशेषज्ञ, प्रशासक व राजनेता के मिश्रित व्यक्तित्व को शत शत नमन