Songs/Poems from my childhood

खाली बैठे क्या करें ,
करना है कुछ काम ,
शुरु करो अंताक्षरी ,
लेकर प्रभु का नाम

अक्कड़ बक्कड़ बंबे बो ,
अस्सी नब्बे पूरे सौ,
सौ का लोटा तितर मोटा,
चल मदारी पैसा खोटा

नानी के घर जाऊंगा,
दूध मलाई खाऊंगा ,
मोटा होकर आऊंगा

काके फुलडे दी मां,
काका रोंदा पिया ,
पहले काके नू चा ,
पीछे आना दिवा

टेसू झांजी गए बाजार,
वहां से लाए आम का अचार,
मेरा टेसू यहीं अड़ा ,
खाने को मांगे दही बड़ा

टेसू की अम्मा ,
गई परकम्मा ,
टेसू को दे गई ,
फटा पजम्मा,
टेसू रोवे ,
हाय अम्मा हाय अम्मा हाय अम्मा

आलू कचालू बेटा कहाँ गए थे,
बन्दर की टोकरी में सो रहे थे,
बन्दर ने लात मारी रो रहे थे,
मम्मी ने प्यार किया हंस रहे थे,
पापा ने पैसे दिए नाच रहे थे,
भैया ने लड्डू दिए खा रहे थे…

चुन्नू मुन्नू थे दो भाई,
रसगुल्ले पर हुई लड़ाई,
चुन्नू बोला मैं खाऊंगा,
मुन्नू बोला मैं खाऊंगा,
झगड़ा सुन कर मम्मी आई,
दोनों को एक चपत लगाई..
कभी न लड़ना – झगड़ना,
आपस में तुम मिलकर रहना |

मछ्ली जल की रानी है
जीवन उसका पानी है
हाथ लगाओ तो डर जाएगी
बाहर निकालो तो मर जाएगी
पानी मे डालो तो तैर जाएगी
पानी मे डालो तो तैर जाएगी

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टेसू के गीत

1:टेसू के भाई टेसू से,
पान पसेरी के
उड़ गए तीतर रह गए मोर
सड़ी डुकरिया लै गए चोर
चोरन के जब खेती भई
खाय डुकटटो मोटी भई।

2:मेरा टेसू झंई अड़ा,
खाने को मांगे दही बड़ा।
दही बड़े में पन्नी,
धर दो बेटा अठन्नी।
अठन्नी अच्छी होती तो,
ढोलकी बनवाते ।
ढोलकी की तान,
अपने यार को सुनाते ।
यार का दुपट्टा साड़े सात की निशानी,
देखो रे लोगे वो हो गई दीवानी।।

3:आगरे की गैल में छोकरी सुनार की,
भूरे -भूरे बाल उसकी नथनी हजार की
अपने महल में ढोलकी बजाती,
ढोलकी की तान अपने यार को सुनाती
यार का दुपटटा साढे सात की निशानी
देखो रे लोगो वो हो गई दिवानी।

4:रेल खड़ी भई रेल खड़ी
नौ सौ डिब्बा रेल खड़ी
एक डिब्बा आरम्पार
उसमें बैठे मियां साब
मियां साब की काली टोपी
काले हैं कलयान जी
गौरे हैं गुरयान जी
कूद पड़े हनुमान जी
लंका जीते राम जी।

5:टेसू भैया बड़े कसाई
आंख फोड़ बन्दूक चलाई
सब बच्चन से भीख मंगाई
दौनों मर गए लोग लुगाई।

6:टेसू रे टेसू घंटा बजइयो,
एक नगरी नौ गाम बसइयो।
बस गई नगरी बस गए मोर,
हरी चिरैया को ले गए चोर।
मेरा टेसू रंग-बिरंगा,
इसने भांग खाई है।
मां कहे मेरा उत्तर-पुत्तर,
बहन कहे मेरा भाई है।

7:टेसू की गय्या हाय रे दैय्या , अस्सी डला भुष खाय |
बड़े ताल को पानी पिए, हगन बटेश्वर जाय |

8:लम्बी चुटिया, बूचे कान,
टेसू बड़े दबंग जवान !

तीन टाँग से खड़े अकड़कर,
जैसे आए हों लड़-भिड़कर,
दिखा रहे हैं तीर-कमान,
टेसू बड़े दबंग जवान !

वीर बब्रु वाहन कहलाते,
घर-घर जाकर अलख जगाते,
इनसे बढ़कर यही महान्,
टेसू बड़े दबंग जवान !

मूँछों पर हैं ताव निकाले,
इनका गुस्सा कौन संभाले?
रखते अजब निराली शान
टेसू बड़े दबंग जवान !

दिन में नहीं, रात में चलते,
किन्तु कमर पर दीपक जलते,
कभी न होती इन्हें थकान !
टेसू बड़े दबंग जवान !

9:आगरे को जाएँगे, चार कौड़ी लाएँगे,
कौड़ी अच्छी भई तो, टेसू में लगाएँगे,
टेसू अच्छा हुआ तो, गाँव में घुमाएँगे,
गाँव अच्छा हुआ तो, चक्की लगबाएँगे,
चक्की अच्छी हुई तो, आटा पिसवाएँगे,
आटा अच्छा हुआ तो, पूए बनवाएँगे,
पूए अच्छे हुए तो, गपगप खा जाएँगे,
खाकर अच्छा लगा तो बाग घूमने जाएँगे,
बाग अच्छा हुआ तो, माली को बुलाएँगे,
माली अच्छा हुआ तो, आम तुड़वाएँगे,
आम अच्छे हुए तो, घर भिजवाएँगे,
घर भिजवाकर, अमरस बनवाएँगे,
अमरस अच्छा हुआ तो, आगरे ले जाएँगे।
आगरे को जाएँगे, चार कौड़ी लाएँगे----------

10:टेसू रे टेसू घंटा बजइयो,
इक नगरी दो गाँव बसइयो,
बस गए तीतर, बस गए मोर,
फिरत चमरिया लै गए चोर,
चोरन के घर खेती हुई,
खाय चमरिया मोटी हुई,
मोटी है कै मायके आई,
माय कहै मेरी लाड़ो आई,
सिर के बाल कहाँ धर आई।

11:उड़ गए तीतर रहि गए मोर,
गबरू बैल को ले गए चोर,
चोरों के घर खेती हुई,
खाके चोरनी मोटी हुई,
मोटी होके मायके आई,
देख हँसे सब लोग लुगाई,
गुस्सा होके पहुँची दिल्ली,
दिल्ली से लाई दो बिल्ली
एक बिल्ली कानी,
सब बच्चों की नानी
नानी नानी टेसू आया,
संग में अपने झाँझी लाया,
मेरा टेसू यहीं अड़ा,
खाने को माँगे दही बड़ा,
दही बड़ा हो हइया,
झट निकाल रुपइया,
रुपए के तो ला अखरोट,
मुझको दै दे सौ का नोट।

12:आगरे की हाट में जाटनी बिहार की,
झुमके उसके लाख के तो नथनी हज़ार की।
बैठ के अपने रंगमहल में ढोलकी बजाती,
ढोलकी की तान अपने तोते को सुनाती।
तोता बैठा रेल में तो मैना भी संग में चढ़ी,
सीटी मार के धुआँ उड़ाती रेल फ़ौरन चल पड़ी।
रेल के पहले ही डिब्बे में टेसू जी थे खड़े हुए,
तीन टाँग और काली टोपी जिसमें लड्डू पड़े हुए।

लड्डू पेड़े खाने वाले काले हैं कल्यान जी
दूध दूधिया पीने वाले गोरे हैं मलखान जी।
लाल सिंदूर लगा लंका में कूद पड़े हनुमान जी
जय बोलो सीता मइया की लंका जीते राम जी।

13:एक पिटारा हमने खोला, उसमें से निकला भप्पू गोला,
भप्पू गोले को दिया तमाचा, कठपुतली बनकर वह नाचा।
कठपुतली ने गाड़े खूँट, बँधे मिले उनमें सौ ऊँट,
उन ऊँटों पर हुई सवारी, राह में मिल गई सड़ी सुपारी।
सड़ी सुपारी को जब काटा, उसमें से निकला नौ मन आटा,
नौ मन आटे की बनाई रोटी, उसमें से निकली झाँझी छोटी।
झाँझी ने जब घूँघट खोला, पीछे से यों टेसू बोला,
महाभारत की रेलमपेल, मैंने देखा सारा खेल।
कहता हूँ डंके की चोट, फौरन दे दो सौ का नोट।

14:टेसू आए बन के वीर,
हाथ लिए सोने का तीर।
एक तीर से पत्ते झाड़े,
कान्हा जी देखत रहे ठाड़े।
कान्हा जी की बंसी बाजी,
राधा छून छनाछन नाची,
एक घुँघरू टूट गया,
दूध का मटका फूट गया।
या तो जल्दी मटका जोड़ो,
या फिर अपना बटुआ खोलो।
रुपया धेली जो कुछ हो,
टेसू बीर के नाम पे दो।

Bharti Raizada