Arya Samaj Niyams:
- सब सत्यविद्या और जो पदार्थ विद्या से जाने जाते हैं, उन सबका आदिमूल परमेश्र है।
- ईश्वर सच्चिदानंदस्वरूप, निराकार, सर्वशक्तिमान, न्यायकारी, दयालु, अजन्मा, अनंत, निर्विकार, अनादि, अनुपम, सर्वाधार, सर्वेश्वर, सर्वव्यापक, सर्वांतर्यामी, अजर, अमर, अभय, नित्य, पवित्र और सृष्टिकर्ता है, उसी की उपासना करने योग्य है।
- वेद सब सत्यविद्याओं का पुस्तक है। वेद का पढना – पढाना और सुनना – सुनाना सब आर्यों का परम धर्म है।
- सत्य के ग्रहण करने और असत्य के छोडने में सर्वदा उद्यत रहना चाहिये।
- सब काम धर्मानुसार, अर्थात सत्य और असत्य को विचार करके करने चाहियें।
- संसार का उपकार करना इस समाज का मुख्य उद्देश्य है, अर्थात शारीरिक, आत्मिक और सामाजिक उन्नति करना।
- सबसे प्रीतिपूर्वक, धर्मानुसार, यथायोग्य वर्तना चाहिये।
- अविद्या का नाश और विद्या की वृद्धि करनी चाहिये।
- प्रत्येक को अपनी ही उन्नति से संतुष्ट न रहना चाहिये, किंतु सब की उन्नति में अपनी उन्नति समझनी चाहिये।
- सब मनुष्यों को सामाजिक, सर्वहितकारी, नियम पालने में परतंत्र रहना चाहिये और प्रत्येक हितकारी नियम पालने सब स्वतंत्र रहें।
Ten commandments of Jews/Christians (Aseret HaDibrot (“Ten Sayings” in Hebrew) or Decalogue):
- Do not have any other gods.
- Do not make or worship idols.
- Do not disrespect or misuse God’s name.
- Remember the Sabbath and keep it holy.
- Honour your mother and father.
- Do not commit murder.
- Do not commit adultery.
- Do not steal.
- Do not tell lies
- Do not be envious of others.
There are many differences between Arya Samaj niyams and the ten commandments of Jews. Ten commandments of Jewish culture solely stress personal behavior and ethics e.g. do not steal, lie, etc.
Arya Samaj niyam, on the other hand, describes Parmatma, the importance of Veds, personal ethics, social responsibilities, community service, the progress of society as a whole, and upliftment of others.
Bharti Raizada