पिछले हफ्ते मैं थप्पड़ मूवी देखने गई थी उस शो में 10 से भी कम लोग थे और वह लोग भी पूरी पिक्चर खत्म होने तक नहीं रुके थे अगर 21वीं सदी में यह पिक्चर बनाने की जरूरत पड़ी है तो यह अपने आप में ही कह रहा है कि हमारे समाज में यह समस्या कितनी फैली हुई है
यह शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना समाज में किसी एक तबके में सीमित नहीं है 1यह हर उम्र के लोगों में हार सोशल स्टेटस के लोगों में देखा देखने को मिलता है1 इस फिल्म में जैसे बताया है की विक्रम जो कि पढ़ा लिखा है वह भी अमृता के ऊपर हाथ उठाता है और उसको इमोशनली भी abuse करता है 1 अमृता की मां अपने गाने का सपना छोड़ देती है और घर संभालती है 1अमृता की जो सांस है वह अपने पति से दूर रहकर भी हमेशा उसी के बारे में ही सोचती रहती है क्योंकि दिमाग में यही होता है कि पति है और उसकी खुशी सब कुछ है तो जब वह उसके बारे में अच्छा सोचती है, उससे अच्छी बात होती है तो उसकी शुगर ठीक रहती है, जो किस पिक्चर में दिखाया गया है और जब उसको पति से पति की चिंता करती है तो उस समय उसका increased हुआ sugar दिखाया जाता है 1 अमृता का ब्रदर आपकी गर्लफ्रेंड को हाथ पकड़कर खींचता है और तेज आवाज में उससे बात करके उसे चले जाने को बोलता है1 कामवाली सुनीता को उसका पति लगभग रोज ही मारता है और काम भी नहीं करता कोई, घर में सुनीता ही काम करती है और फिर भी उसकी पिटाई करता है
अब इसको अगर उल्टा करके देखें तो अगर औरतें आदमी को इस तरह से ट्रीट करें तो क्या यह समाज में एक्सेप्टेबल होगा क्या इसको अप्रूव किया जाएगा लड़कों को इस तरह से बड़ा किया जाता है कि उनको समझ ही नहीं आता कि फिजिकल और इमोशनल एब्यूज हो रहा है या वह कर रहे हैं1 उनको पता ही नहीं चलता कि क्या हो रहा है और जब हो जाता है तो उनको यह नहीं पता होता कि उससे अब उसे अब कैसे ठीक करना है1 उनको कोई समझाने वाला भी नहीं होता
काफी सालों से अमृता विक्रम का बर्ताव सहन कर रही थी जैसे एक बार उसने कहा अमृता ने कहा कि उसे गाड़ी चलानी सीखनी है तो विक्रम ने का गाड़ी चलाने से पहले पराठे बनाना तो सीख लो1 इस तरह से कई बार सुनने के बाद भी उसने कभी कुछ किया नहीं ,उसे बताया नहीं कि वह क्या फील कर रही है लेकिन जब समाज में सबके सामने उसे थप्पड़ पड़ा तब उसे इतनी अपमान भरी स्थिति में अपने को देखकर फिर उसने यह एक्शन लिया ,डिवोर्स के लिए फाइल किया1 उससे पहले जब तक घर की चारदीवारी के अंदर सब चल रहा था तो वह भी सहन कर रही थी, लेकिन जब सबके सामने समाज में हुआ तब उसकी भावनाएं ज्यादा आहट आहत हुई1
हमेशा women से ही क्यों आशा की जाती है कि वह आदमियों को समझें और उसके अनुसार अपने को डालें 1 अक्सर आदमी अपने ड्रीम्स के पीछे भागते हुए अपने आसपास के लोगों का सैक्रिफाइस भूल जाते हैं उनको पता ही नहीं चलता कि उनकी पत्नी कितना काम कर रही है है1 विक्रम को लगता है कि उसको सपोर्ट मिलना चाहिए ,उसको माफ कर दिया जाना चाहिए, उसको प्यार से समझने की कोशिश करनी चाहिए क्योंकि उसके अपने सपने हैं जिनको वह पूरा करने की कोशिश कर रहा है1 उसको इतने सालों की शादी के बाद भी यह नहीं समझ आता कि उसकी पत्नी किस चीज से गुजर रही है और उसकी भावनाएं किस तरह से आहत हैं और उनको कैसे ठीक किया जा सकता है
कभी इस तरह की घटनाएं होती हैं तो लोग अपने को अलग कर लेते हैं, वह समझाते नहीं बिठा कर, उनसे बात नहीं करते1 वह सोचते हैं कि बस अलग रह कर अपने आप ही सब सो जाएगा जैसे इस पिक्चर में जो विक्रम और अमृता के बीच में घटना होती है तो विक्रम की मम्मी दोनों को बिठाकर समझाते नहीं, वह विक्रम को भी नहीं समझाती 1अमृता के माता-पिता भी विक्रम को बिठाकर नहीं समझाते1 उसकी मां कहती है कि बच्चे बड़े हैं अपने आप संभाल लेंगे1 अमृता का भाई भी नहीं समझाता1 कोई पड़ोसी भी नहीं समझाते ,सब अपना अलग होते हैं विक्रम और अमृता के बीच के घटना होती है तो विक्रम यही सोचता रहता है कि लोग मेरे बारे में क्या सोचते होंगे कि मैंने क्या किया उसको यह कभी दिमाग में नहीं आता कि मेरी बीवी के ऊपर क्या गुजर रही है1 विक्रम की मां अमृता को कहती है कि चलो नीचे वापस चलो कि लोग हैं वह क्या सोचेंगे और यह तो घर की बात है और अगले दिन सुबह भी उससे यह पूछती है कि विक्रम ठीक से सोया ना 1अमृता की मां कहती है कि यह तो चलता रहता है अपने आप संभाल लेंगे बच्चे 1 सब लोग अमृता को विक्रम की पत्नी के रूप में देखते हुए ही यह सब सोचते हैं1 कोई यह नहीं सोचता कि अमृता अमृता है उसकी अपनी अलग पहचान है उसकी भावनाएं हैं उसको इंसल्ट फील होती है 1 उसकी शांति गई उसका रिस्पेक्ट गया है उसकी इज्जत गई है1 पति पत्नी भी आपस में बैठकर बात करके एक दूसरे को नहीं बताते कि वह क्या फील कर रहे हैं और दूसरे से क्या आशा करते हैं जैसे कि इस पिक्चर में अमृता ने विक्रम को बिठा कर उसे यह नहीं कहा कि वह क्या फील कर रही है और अब वह क्या चाहती है विक्रम से और आगे के लिए विक्रम क्या करें कि यह ना हो1 वह बस यही सोचती रही कि विक्रम को अपने आप समझना चाहिए कि क्या हो रहा है 1 विक्रम ke दिमाग में कभी यह आया ही नहीं कि सबके सामने उसने अपनी पत्नी को जो थप्पड़ मारा है तो उसकी पत्नी के आत्मविश्वास की, उसकी जो ट्रस्ट था , जो प्यार था विक्रम के लिए , अपनी एक पहचान थी, अपना एक सेल्फ रिस्पेक्ट था, उस सब की धज्जियां उड़ गई सबके सामने1 जब उसकी पत्नी घर छोड़ कर जा रही थी तब भी उसने पहला कमेंट जो किया वह बोला कि मैं अपनी मम्मी को क्या बोलूंगा उसने यह नहीं कि अपनी पत्नी को बैठाकर पूछे कि मैं अब क्या कर सकता हूं उसको ठीक करने के लिए जो मेरे से हो गया और उसको reassure kare कि आगे से नहीं होगा ऐसा. उसको डिनर पर ले जाने के लिए बोलता है आई लव यू बोलता है but जो मेन मुद्दा है जिसके ऊपर यह सब हुआ उसको वह कभी एड्रेस नहीं करता
काफी समय बाद विक्रम का कंपनी का एक आदमी उसे फिर समझाता है कि अगर उससे गुस्सा था और वह उस समय अपने आपा खो बैठा to उसने अपने दोस्तों पर हाथ में उठाया, अपने बॉस पर हाथ नहीं उठाया, आसपास किसी पर हाथ नहीं उठाया तो सिर्फ अपनी पत्नी पर ही हाथ क्यों उठाया 1उसने ऐसे कैसे मान लिया कि बस पत्नी को मारा जा सकता है1
अलग तरह के लोग अलग-अलग तरह के निर्णय लेते हैं जैसे इस पिक्चर में अमृता ने तलाक का निर्णय लिया नेत्रा ने सिपरेशन का निर्णय लिया जो घर में काम वाली थी उसने बदला लिया और अपने पति को मारा जो अमृता की सास थी वह अपने पति के पास वापस चली गई अमृता की जो मां थी वह उसके पिता के साथ रहती रही अमृता कि जो होने वाली भाभी थी वह उसके ब्रदर के साथ अपने डिफरेंस बुलाकर साथ रहने लगी शिवानी थी उसने अकेले ही रहने का निर्णय लिया
तलाक किसी के लिए समाधान हो सकता है पर सबके लिए नहीं एक तो इसमें समय बहुत लगता है ,पैसे भी लगते हैं, बहुत मेसी और दीमोटीवेटिंग होता है 1जो सफर कर रहा है उसको खुद ही डिसाइड करना है कि उसको अपनी इज्जत और खुशी चाहिए लाइफ से और वह किस तरह से मिल सकती है तलाक ले kar ya बिना तलाक ke.डिसाइड करना पड़ता है कि उसके लिए क्या सबसे ज्यादा मायने रखता है घर की चारदीवारी के अंदर इज्जत घर की चारदीवारी के बाहर पब्लिक में उसके रिश्ते, पैसे, और तलाक के बाद ke कंसीक्वेंसेस , इन सबको देखते हुए निर्णय लेना ज्यादा ठीक रहेगा
कुछ सेंटेंसेस जो मुझे काफी अच्छे लगे वह यह है -
सिर्फ एक थप्पड़ था पर नहीं मार सकता मैं भूल ही गई थी कि नीला रंग मेरा फेवरेट रंग नहीं है मेरा फेवरेट कलर तो यल्लो है दोस्तों को नहीं मारा बॉस को नहीं मारा फिर wife को ही क्यों मारा सबने मुझे विक्रम की वाइफ समझ कर इस इंसिडेंट को देखा किसी ने अभी अमृता को अमृता की तरह नहीं देखा घर दीवारों से और कलर से नहीं बनता बस लोगों से और रिलेशनशिप से बनता है अगर कोई लड़की हाउसवाइफ बनना पसंद करती है तो इसका मतलब यह नहीं कि वह वर्थलेस हो जाती है या उसकी अपनी पहचान उसको lose karni पड़े अगर प्यार नहीं है तो साथ रहने का क्या मतलब है और अगर साथ रहकर खुश नहीं है तो साथ रहने का क्या मतलब है अगर सच के रीप्रकाशन होते हैं तो क्या झूठ क्यों नहीं होते शिवानी ने जो कहा कि मेरा पति बहुत ही अच्छा आदमी था मैं समझती हूं कि सारे आदमी उसी की तरह अच्छे हैं तो मैं यह pretend करूंगी कि तुमने जो अभी बोला है वह मैंने सुना ही नहीं
Bharti Raizada