अगर हम महालक्ष्मी की पुरानी मूर्तियां और पिक्चर्स देखें तो उनमें देवी के हाथ में सिक्के नहीं दिखाई देते किंतु नई पिक्चरों में और मूर्तियों में लक्ष्मी देवी को sikkon/coins के साथ दिखाया जाता है1 यह मान्यता है कि लक्ष्मी देवी धन की देवी है और उनकी पूजा करने से धन मिलता है पर पुरानी पिक्चरों में ऐसा नहीं लगता. Anyway, coins came into existence at around 500BC.
ओम --कहते हैं कि जब यह यूनिवर्स बना था तो ओम पहली आवाज सुनाई दी गई थी1 ओम कई बार तो दूसरे शब्दों से पहले आता है और कई बार बाद में , जैसे हरि ओम बोले तो ओम हरि के बाद आता है, ओम नमः शिवाय बोलते हैं तो शिवाय से पहले आता है तो इसका कारण पता नहीं क्या है? लगता है कि ओम का मतलब है पूरा संसार, तो जब हम हरिओम बोलते हैं तो हम बोलते हैं कि पूरा संसार हरी को प्रेयर कर रहा है, तो हरी पहले आता है क्योंकि हरि भगवान है और जब हम बोलते ओम नमो शिवाय -ओम नमन कर रहा है शिव का तो ओम पहले आता है कि ओम नमन कर रहा है तो इसलिए शिव का नाम बाद में आता है जैसे ओम नमो शिवाय, ओम नमो नारायण,ओम नमो भगवते, ओम नमो वासुदेवाय, तो इनमें ओम कर रहा है नमन,तो ओम पहले आता है 1 वह हरिओम में पहले भगवान का नाम ले रहे हैं और ओम नाम ले रहा है तो बाद में आता है
जन्मदिन मनाने का क्या औचित्य है? हिंदू कल्चर में माना जाता है कि अगर किसी का जन्म हुआ है तो उसके karm जो पुराने जन्म में थे वह ऐसे नहीं थे कि उसको उस समय मोक्ष मिल जाता 1 इसलिए उसको दोबारा जन्म लेना पड़ा है, तो इस जन्म में उसको कुछ कर्म करने पड़ेंगे जिससे उसको मोक्ष मिल जाए और यह जन्म मरण मरण की साइकिल बंद हो जाए1 इसलिए जन्मदिन मनाने का reason मुझे समझ नहीं आता1 जन्मदिन तो कोई अच्छी बात नहीं है. इस मींस that पिछले जन्म में अच्छे काम नहीं किए. आप हर बार जन्मदिन मना रहे हैं it means karm पूरे नहीं हुए मोक्ष मिलने के अभी. आपको और karm करने हैं मोक्ष मिलने के लिए, तो जन्मदिन मनाने का कोई औचित्य नहीं है. More birthdays mean we are taking too much time to do the right karm and attain moksha.
If we are looking for anything to celebrate at birth, it is that atleast that person got human birth which is considered better than taking birth in any other form.
Similarly, why do we wish for long life for ourselves or others. Should not we desire to be free from this life birth cycle as soon as possible. Only benefit of living long is to get opportunities to do good karma so that we do not have to take another birth.
प्रकृति की अपनी एक आवाज है उस आवाज को सुनने के लिए ाoutside आवाज को कम करना पड़ता है या खत्म करना पड़ता है. प्रकृति में हर चीज की आवाज है. हवा की आवाज है, पत्तियों की आवाज है, वायु की आवाज है, लाइट की आवाज है. आजकल हम बाहर से आवाजों को इतना सुनते हैं कि यह प्रकृति की आवाज सुनाई नहीं देती. हम संगीत सुनते रहते हैं जोर-जोर से- नहाते हुए, खाना खाते हुए, काम करते हुए, बाहर घूमते हुए, एक्सरसाइज करते हुए, कुछ ना कुछ हम बाहर से सुनते ही रहते हैं. कभी शांति से सिर्फ प्रकृति को सुनने की कोशिश नहीं करते. वैसे भी आजकल लोग ज्यादातर घर के अंदर बंद होते हैं. प्रकृति में जाने का समय भी कम होता है और जब जाते भी हैं तो उससे में भी बाहर की आवाजा ही ज्यादा सुन रहे होते है. समाचार या संगीत या जोर जोर से बोलते हुए बाकी लोग या मशीनों की आवाज है. कहीं पर ऐ सी चल रहा है, हीटर चल रहा है, मशीन चल रही है. इन रेफ्रिजरेटर की, टीवी की, डिश वॉशर की आवाज आती रहती हैं. प्रकृति को सुनने के लिए और अपने अंदर की आवाज सुनने के लिए शांति चाहिए होती है. बाहर की आर्टिफिशियल आवाजों में अपने मन की आवाज़ भी नहीं सुन सकते.
अक्सर लोग कहते हैं कि मरने के बाद या तो स्वर्ग जाते हैं या नर्क में. नर्क में कहते हैं कि बहुत यातनाएं मिलती हैं. कोणों से मारा जाता है, खाना नहीं दिया जाता, गरम तेल में चला जाता है. और स्वर्ग में कहते हैं बहुत अच्छे-अच्छे व्यंजन होते हैं , अप्सराएं होती हैं , बहुत ही शांत वातावरण होता है और वहां पर लोग ऐसे ही घूमते रहते हैं- शांति से. एक तरफ तो हम कहते हैं कि शरीर रह जाता है, सिर्फ आत्मा ही दोबारा जन्म लेती है या मोक्ष प्राप्त करती है. अगर शरीर यहीं रह जाता है तो नर्क में किसको कोड़े मारे जाते हैं और स्वर्ग में व्यंजन कौन खाता है, वहां तो सिर्फ आत्मा है शरीर तो है नहीं . लोग अक्सर कहते हैं कि सपनों में भी वह देखते हैं कि वह स्वर्ग या नरक पहुंच गए और उन्होंने अपने रिश्तेदारों को देखा और पड़ोसियों को देखा और दोस्तों को देख1 पर शरीर नहीं होता वहां पर, सिर्फ आत्मा होती है ,तो आप अपने रिश्तेदार पड़ोसियों दोस्तों को कैसे देखते हो ?सिर्फ आत्मा से पहचानते हो क्या ? जिन लोगों को नियर डेथ एक्सपीरियंस होता है वह लोग भी कहते हैं कि उन्होंने ऊपर अपने रिश्तेदारों को और पहचान वाले लोगों को देखा .अगर सिर्फ आत्मा ऊपर जाएगी तो आप उनको कैसे देखोगे?
Spirituality does not take away the grief but it gives strength to cope with the grief.
1 plus 1 = 2, this is Mathematics
1 plus 1= 11, this is Unity/organization/community
1 plus 1=1, this is Love
1 plus 1=0, this is Spirituality
When one is not allowed to meet one, this is Diplomacy
When one is made to stand against one, this is Politics
Life lessons:
- Always follow what your heart says when you are calm.
- Do not keep regretting the mistakes forever. Nothing will come out of it. No amount of hard physical work or distractions takes away the pain of past injuries and mistakes.
- The only thing that works is to correct those by visualizations. Recreating the entire scene and acting in it as you should have in the past.
- Meditation after correcting these is the best way to move forward.
- If you do not get love and respect from some people or places, please do not waste time and energy in convincing them or change your actions to get that love and respect from them. Move away.
- Do not try to swing someone's affinities towards you. It will never be permanent.
- Stay firm on your values no matter what. Values come from inside us. How do we know what is right vs wrong? This perception comes from inside only when we are calm and at peace.
- Do not follow cults working on some specific goal. Try to see the different side also. Until we do poorva paksha we can see the things clearly.
- The majority consensus does not make anything right.
- Calmness is the remedy for almost anything. Try to expand your calm, peaceful, blissful aura.
- Never stray from duty and responsibility.
- Stay away from negativity and people with evil energy.
- We can not change anyone's inherent biases. No explanation and persistence will work.
Bharti Raizada