Water

Book on the water management systems in pre-British India

aaj_bhi_khare_hain_talaab_anupam_mishra.pdf

Water1

पानी आकाश से गिरे तो........बारिश,
आकाश की ओर उठे तो........भाप,
अगर जम कर गिरे तो...........ओले,
अगर गिर कर जमे तो...........बर्फ,
फूल पर हो तो....................ओस,
फूल से निकले तो................इत्र,
जमा हो जाए तो..................झील,
बहने लगे तो......................नदी,
सीमाओं में रहे तो................जीवन,
सीमाएं तोड़ दे तो................प्रलय,
आँख से निकले तो..............आँसू,
शरीर से निकले तो..............पसीना,
और
श्री हरी के चरणों को छू कर निकले तो...............चरणामृत


HALF GLASS
Just say these words while taking drinking water from the waiter at the hotel or from anyone else.
Because your two words can save someone's life.
I went to a hotel today to meet some friends.Of course the subject was water, the chatter was going on, as the subject was moving forward, I was seeing one thing, people at many tables were paying their bills and leaving half a glass of drinking water was still there. The story was very normal. Going to our table too, I saw only 4 glasses half. This happened without our knowledge.Something was bothering my mind.The meeting is over. Everyone came out. We said goodbye to our friends and went back to the hotel. Met the waiter's manager who took permission.
What did you do with the four and a half glasses of water on our table?
He said the waiter who cleared the table would have poured the water into the basin, that's what we do. There is no use in that hot water now!
Approximately how many people come in an hour on weekends?
He said an average of 15 to 20 people in the morning and more for the Lunch in the afternoon and dinner at night.
I Said ,This means that if the hotel is open for 10 hours, an average of 250 people come to the hotel in a day. This will be doubled Saturday to Sunday. This is your little hotel. The same number of big hotels will be in thousands!
That's an average of 350 people a day. About 200 of these people, even if they keep half or a glass of water without drinking it, "waste" about 100 liters of water in the basin every day.
That means a hotel pours at least 100 liters of "very good unprocessed water" into the basin every day. This water passes through the drainage and eventually mixes with the other 'dirty' water of the river.
Pune currently has over 6000 hotels, large and small i.e. 6000 ×100 liters per day.
This means that we just pour 6 lakh liters of drinking water every day. Now this time. It happened one day.
It is 42 lakh liters a week. We are just pouring 22 crore liters of pure drinking water in a year.
The cost of purifying this water is huge.
So in a state where, according to government figures, one person dies every 4 hours from a disease like diarrhea caused by 'lack of clean water'.
That is, on the one hand, people are dying without water and on the other hand, we are mixing so much purified water into the soil.
It can all be stopped, just by the "two" words coming out of your mouth.
From now on, if a waiter or anyone else is pouring water into your glass in front of you, just say to him “Half a glass !!”
With this, you will take as much water as you need and the rest of the water will be saved.
This surplus water will go to the farmer or to the people who die due to lack of water.
But we have to start with the habit of saying these two words.
Very small thing, just say two words but your two words can save your 22 crore liters of water, save the lives of farmers, people and children who die due to lack of pure water.
Please let’s just save what we don't create.
(Let's do the same at home, drink half a glass of water at home too, you can always take more water if needed.)
Please start this new habit today for the good of all, keep on saying, keep on saving water. Half a glass ..should be implemented nation wide.

हम जिधर निहारें उधर ही वरुण वरणीय प्रभु की अद्भुत महिमा दृष्टिगोचर होती है। उसका विश्व का एक-एक पदार्थ उसकी महिमा का बखान कर रहा है । यह लो इन जंगलों की और देखो। भगवान ने इनके भीतर अनन्त जल भरकर फैला रखा है। पहाड़ों और मैदान में फैले हुए जंगलों पर जब बादल वर्षा करते हैं तो वर्षा का पानी धरती में छिपे हुए वृक्षों की जड़ों के जालों की सहायता से मिट्टी में समा जाता है, उसको पीछे से यह मिट्टी में समाया हुआ पानी इस रिस- रिसकर झरनों और नालों में के रूप में बहने लगता है और यह छोटी-छोटी धाराएं मिलकर फिर विशाल नदियों के रूप में चलने लगती हैं। इन नदियों से हम अनेक लाभ लेते हैं। वृक्षों की जड़ों द्वारा मिट्टी में समाए हुए पानी का एक और लाभ यह होता है कि धरती देर तक गीली रहती है,जिससे हमारे पशु के चरने के लिए प्रचुर मात्रा में घास उत्पन्न होता है। यदि भगवान जंगलों की रचना करके इस प्रकार मिट्टी में पानी समा जाने की व्यवस्था न करते तो वर्षा होते ही एकदम सारा पानी भरकर समुद्र में चला जाया करता।परिणाम यह होता कि हमारी नदियें निरंतर न चल सकतीं पशुओं के खाने के लिए यथेष्ट घास भी ना मिल सकता। वैज्ञानिकों कहना है कि जंगल, वर्षा होने में भी सहायता करते हैं। जंगल में इस प्रकार विस्तीर्ण जलराशि का आधार बनाकर वरुण प्रभु ने अपनी अद्भुत लीला का परिचय दिया है।

Mantr on water in Hindu Scriptures:

  1. Rig 10.151.6: Water is the FIRST medicine, and remedy for all ailments.
  2. Yajur 13.6: O Mankind, harm not the winds movement, the ocean-wide waters which holds the earth, nor the earthshaded waters of the rivers.
  3. Atharva 3.14.5 (456): Water is auspicious and beneficial, the enhancer of strength. Hydrogen and oxygen compose water. May the satiating, strong nectar of water with its sweetness helps us with life and vigour.
  4. Yajur 36.17: Aapah shaanti aushadhi shaanti: May water and the medicinal herbs bring peace to us. Only water quenches thirst. When the body is at peace, the mind and soul can be at peace.
    This mantra (from the Shaanti Paat), should be recited mentally, commencing with Aum each time water and medicine is taken, acknowledging God the Giver.
  5. Saama: Ayendra, Dec. 4.1.5. 8 (339): Let us recite eternal Vedic verses for God, Who pours down waters from the sky, and supports and holds together the earth and heaven with His Knowledge and Wisdom.

हर व्यक्ति अपने घर की पानी की टंकी में जामुन की लकड़ी का एक टुकड़ा जरूर रखें, एक रुपए का खर्चा भी नहीं और लाभ ही लाभ मात्र आपको जामुन की लकड़ी को घर लाना है अच्छी तरह साफ सफाई कर कर पानी की टंकी में डाल देना है इसके बाद आपको फिर पानी की टंकी की साफ सफाई की जरूरत नहीं पड़ेगी।

नाव की तली में जामुन की लकड़ी क्यों लगाते हैं, जबकि वह तो बहुत कमजोर होती है -. क्या आप जानते हैं भारत की विभिन्न नदियों में यात्रियों को एक किनारे से दूसरे किनारे पर ले जाने वाली नाव की तली में जामुन की लकड़ी लगाई जाती है। सवाल यह है कि जो जामुन पेट के रोगियों के लिए एक घरेलू आयुर्वेदिक औषधि है, जिसकी लकड़ी से दांतो को कीटाणु रहित और मजबूत बनाने वाली दातुन बनती है, उसी जामुन की लकड़ी को नाव की निचली सतह पर क्यों लगाया जाता है। वह भी तब जबकि जामुन की लकड़ी बहुत कमजोर होती है। मोटी से मोटी लकड़ी को हाथ से तोड़ा जा सकता है। नदियों का पानी पीने योग्य कैसे बना रहता है -.बहुत कम लोग जानते हैं कि जामुन की लकड़ी एक चमत्कारी लकड़ी है। यह पानी के अंदर रहते हुए सड़कर खराब नहीं होती बल्कि इसमें एक चमत्कारी गुण होता है। यदि इसे पानी में डूबा दिया जाए तो यह पानी का शुद्धिकरण करती है और पानी में कचरा जमा होने से रोकती है। कितना आश्चर्यजनक है कि हम जिन पूर्वजों को अनपढ़ मानते हैं उन्होंने नदियों को स्वच्छ बनाए रखने और नाव को मजबूत बनाए रखने का कितना असरकारी समाधान निकाला।

बावड़ी की तलहटी में 700 साल बाद भी जामुन की लकड़ी खराब नहीं हुई -.जामुन की लकड़ी के चमत्कारी परिणामों का प्रमाण हाल ही में मिला है। देश की राजधानी दिल्ली में स्थित निजामुद्दीन की बावड़ी की जब सफाई की गई तो उसकी तलहटी में जामुन की लकड़ी का एक स्ट्रक्चर मिला है। भारतीय पुरातत्व विभाग के प्रमुख श्री केएन श्रीवास्तव ने बताया कि जामुन की लकड़ी के स्ट्रक्चर के ऊपर पूरी बावड़ी बनाई गई थी। शायद इसीलिए 700 साल बाद तक इस बावड़ी का पानी मीठा है और किसी भी प्रकार के कचरे और गंदगी के कारण बावड़ी के वाटर सोर्स बंद नहीं हुए। जबकि 700 साल तक इसकी किसी ने सफाई नहीं की थी।

            आपके घर में जामुन की लकड़ी का उपयोग -.यदि आप अपनी छत पर पानी की टंकी में जामुन की लकड़ी डाल देते हैं तो आप के पानी में कभी काई नहीं जमेगी। 700 साल तक पानी का शुद्धिकरण होता रहेगा। आपके पानी में एक्स्ट्रा मिनरल्स मिलेंगे और उसका टीडीएस बैलेंस रहेगा। यानी कि जामुन हमारे खून को साफ करने के साथ-साथ नदी के पानी को भी साफ करता है और प्रकृति को भी साफ रखता है।   

कृपया हमेशा याद रखिए कि दुनियाभर के तमाम राजे रजवाड़े और वर्तमान में अरबपति रईस जो अपने स्वास्थ्य के प्रति चिंता करते हैं। जामुन की लकड़ी के बने गिलास में पानी पीते हैं।

Movies:
Brave blue world: racing to solve our water crisis--- 2020 filmon Netflix
Turtle