योग

योग

योग चित्त वृत्ति निरोध

प्रकृति जड़ है और प्रकृति से बनी हुई सारी चीजें जड़ है, प्रकृति में तीन तरह के गुण होते हैं - सात्विक, राजसिक और तामसिक
चित या मन जड़ है,

आत्मा चेतन है
आसक्ति इच्छाएं पैदा करती है, आत्मा की इच्छाएं होती हैं, चेतन की इच्छाएं होती हैं, यह अपनी इच्छाएं मन से दिखाती है
पहले आसक्ति होती है, इच्छा आती है, फिर प्रयत्न आता है, फिर विचार आता है

दिन के समय में हमें द्वेष के विचार मन में नहीं लाने चाहिए, खाली दया परोपकारी विचार रहने चाहिए
जब ध्यान लगाते हैं तो सारे विचार चाहे वह राग के हैं या द्वेष के हैं वह बंद करने का प्रयास करना चाहिए और इसके लिए ईश्वर परिधान ,अभ्यास और वैराग्य की जरूरत होती है
मन को चेतन आत्मा से नियंत्रण में किया जा सकता है अगर अभ्यास और वैराग्य करें तो

चेतन दो ही चीजें हैं एक जीवात्मा और एक है परमात्मा, जो चेतन है वही दृष्टा होता है, तो खाली आत्मा और परमात्मा, जीवात्मा और परमात्मा ही दृष्टा है

नींद मोक्ष का एक छोटा हिस्सा नहीं है या मोक्ष के बराबर की अनुभूति नहीं है क्योंकि नींद तो खराब हो सकती है, बीच-बीच में डरावने सपने आ सकते हैं पर मोक्ष में तो खाली आनंद ही आनंद होता है, तो नींद और समाधि एक ही बात नहीं है
नींद कई बार अच्छी आती है, आनंदमय नींद का कारण प्रकृति का सात्विक गुण होता है,
यह ईश्वरीय आनंद से अलग होती है, ईश्वरीय आनंद सिर सिर्फ समाधि और मोक्ष में होता है समप्रजयत समाधि में जीवात्मा को पता होता है कि वह आत्मा और दृष्टा है, असमप्रजयत समाधि में जीवात्मा को पता होता है कि वह परमात्मा का हिस्सा है
समप्रजयत समाधि के प्रकार -वितर्क, विचार, आनंद, अस्मिता
आनंद समाधि में इंद्रियों के बारे में पता चल जाता है. Anand Samadhi has 13 padarth- 5 gyanendriyan, 5 karmendriyan, man, buddhi, and ahankar
अस्मिता समाधि में आत्मा की अनुभूति होती है. It has- 5 sthool, 5 sukshm padarth

Total 24-- 13 indriya, 5 sthool, 5 sukshm padarth, and one atma.

असमप्रजयत समाधि
परवैराग्य में सात्विक सुख भी नहीं चाहिए सिर्फ ईश्वर चाहिए
भव प्रत्य समाधि सांसारिक घटनाओं को देखने के बाद लगती है जैसे कि स्वामी दयानंद जी को लगी थी
उपाय प्रत्यय समाधि प्रयत्न से आती है जैसे कि अष्टांग योग से

विदेह योगी देह को अपना नहीं समझते हैं, वह देह को ईश्वर का मानते हैं और जानते हैं कि वह सिर्फ इस देह में रह रहे हैं, पर वह देह नहीं है
प्रकृति लय योगी सारी चीजों को प्रकृति में विलीन कर देते हैं, सारी चीजों को भौतिक स्तर पर तोड़कर प्रकृति में लीन कर देते हैं
उपाय प्रत्य योगी इन चीजों से समाधि लगाते हैं -
श्रद्धा -- ईश्वर के प्रति
उत्साह या वीर्य- ईश्वर के कामों के प्रति
स्मृति - ईश्वर की
समाधि
ऋतंभरा प्रज्ञा

समप्रजयत समाधि, परवैराग्, फिर असमप्रजयत समाधि

जो योग नहीं करता वह वृत्ति में होता है.
वृत्ति 3 तरह की होती हैं -विचार, ज्ञान, और अनुभूति.

वृत्ति के पांच प्रकार हैं -

  1. प्रमाण -प्रमाण तीन प्रकार के हैं प्रत्यक्ष, अनुमान, आगम
  2. विप्र या मिथ्या ज्ञान
  3. विकल या काल्पनिक बातें
  4. निंद्रा
  5. स्मृति

मोक्ष में तीन चीजें होती हैं -

  • दुख नहीं होता है
  • असीम आनंद होता है
  • सब जगह रहते हैं

    ईश्वर की पहचान कैसे करें
    ईश्वर में यह चीजें नहीं होती

    1. पांच प्रकार के क्लेश- अविद्या, अस्मिता, राग, द्वेष, और अभिनिवेश (मृत्यु का डर)
    2. वह कर्म जो क्लेश से उत्पन्न होते हैं
    3. विपाद (कर्मों का फल). वह विपाद से परे है
    4. आश्रय (संस्कार)
    5. ईश्वर में यह होता है-- निरअति शयम (सबसे अधिक), सर्वज बीजम -सर्वता का कारण,

सांसारिक कामनाओं के लिए किया गया कर्म सकाम कर्म होता है
मोक्ष की कामना के लिए किया गया कर्म निष्काम कर्म होता है

Yog Stoppers or Badhaks reversed by Ishwar Paridhan

  • Vyadhi- Disease

  • Astaan- person remembers to do dhyan but makes excuses

  • Sanshya-doubt

  • Pramad- forgets to do dhyan

  • Aalasya--remembers and has time but will not do it

  • Avirati-Rati is raag or aasakti, Virati is vairagya, Avirati is absence of vairagya

  • Bhranti darshanam- believes in myths

  • Alabdh bhumitatv-- person thinks that there is no progress

  • Anavasthi tatv- achieves something and then goes back to previous state

  • Dukh-- 3 types- adhyatmic because of own fault, aadibhoutik because of other humans or species, aadidevik because of devtas e.g earthquake, natural disasters

  • Daurmanasya or Kantala- affected by conditions, circumstances, and people

  • AngmayJayatv- Ajayatv means movement, ang is body parts. Movement of bodyparts

Bhavnatmak, maitrepurn relations with sukhi, friendly log
Daya bhavna for dukhi and karunamai people
Mudita or prasanta bhavna with punya log
Upeksha or ignore bhavna for apunyatma, doost log e

Anger or krodh can be tackled with: